…जब योगी के मंत्री भ्रष्टाचार परखने के लिए JPNIC में सीढि़यों से चढ़ गए 18 मंजिल

जेपीएनआईसी
एक्सईएन बीपी मौर्या से जेपीएनआईसी की लागत जानते राज्य मंत्री सुरेश पासी। फोटो-आरयू

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भ्रष्‍टाचार करने और कार्रवाई से बचने में माहिर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और इंजीनियरों का दांव आज उस समय उल्‍टा पड़ गया, जब योगी सरकार के राज्‍य मंत्री आवास सुरेश पासी ने भ्रष्‍टाचार की जांच के लिए गोमतीनगर में तैयार हो रहे जेपीएनआईसी की 17 मंजिल समेत हेलीपैड पर सीढ़ियों से ही चढ़ने की ठान ली।

मंत्री के इरादे भांपते ही एलडीए के अधिकारियों और इंजीनियरों के पसीने छूट गए। मंत्री जितनी तेजी से बिल्डिंग की सीढ़ियों चढ़ रहे थे, उतने ही तीखे सवाल भी कर रहे थे। चार फ्लोर चढ़ने के बाद एलडीए वीसी सत्‍येंद्र सिंह यादव समेत अन्‍य अधिकारियों और इंजीनियर ने मंत्री से आज एक बार फिर दूरी बनाने में भलाई समझी।

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हालांकि तबियत ठीक नहीं होने के बाद भी चीफ इंजीनियर डीपी सिंह के अलावा अधीक्षण अभियंता डीसी श्रीवास्‍तव, एक्‍सईएन बीपी मौर्या, पीआरओ अशोक पाल सिंह उनके साथ हेलीपैड तक गए।

जानबूझकर एलडीए ने नहीं शुरू कराई लिफ्ट

सुरेश पासी ने कहा कि पांच दिन पहले आए थे तो एलडीए के अफसरों ने कहा था कि दो-तीन दिन में लिफ्ट चालू हो जाएगी, लेकिन उन्‍होंने जानबूझकर उसे शुरू नहीं किया, ताकि ऊपरी मंजिलों का निरीक्षण नहीं किया जा सके, लेकिन उन्‍हें सीएम को पूरे काम की रिपोर्ट भेजनी है, तो सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ा।

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बहुत निडर हो मुख्‍यमंत्री को भी दे दी झूठी रिपोर्ट

सभी मंजिल की जांच के दौरान आधे-अधूरें काम देखने के बाद हेलीपैड पर पहुंचे राज्‍य मंत्री का पारा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्‍होंने योजना का काम देख रहे एक्‍सईएन बीपी मौर्या को फटकारते हुए कहा आप लोग बहुत निडर हो मुख्‍यमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन में भी बता दिया कि 84 प्रतिशत काम हो चुका, जबकि यहां आधा भी काम नहीं हुआ। अब कह रहे हो कि 84 प्रतिशत सामान आ चुका है, काम 50 प्रतिशत हुआ है।

विदेशी सामान मतलब भरपूर कमीशन

जेपीएनआईसी में राज्‍य मंत्री ने आज जिधर नजर डाली, उन्‍हें अधिकतर विदेशी सामान ही दिखे लाइटें, टाइल्‍स, ऑर्टिफीशियल ट्री समेत कई देशों के दर्जर्नो सामान देखने के बाद राज्‍य मंत्री ने कहा कि यहां से भी सामान खरीदा जा सकता था, लेकिन अंधे कमीशन के लिए सामान बाहर से मंगवाए गए। इससे पहले जनेश्‍वर पार्क की गंडोला बोट के मामले में भी यही किया गया है। आज एक बार फिर उन्‍होंने कहा कि जब आप लोगों ने देश के झंडे को नहीं छोड़ा तो आगे आपसे क्‍या उम्‍मीद की जाए।

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राज्‍य मंत्री ने तमाम सामानों का रेट नोट करवाने के बाद उन लोगों के नाम भी नोट कराए जिन्‍होंने जेपीएनआईसी के नाम पर एलडीए के पैसे से विदेश यात्राएं की थी। करीब डेढ़ घंटे के निरीक्षण के दौरान उन्‍होंने चीजों को बरीकी से समझा और जाना।

जेपीएनआईसी
निरीक्षण के दौरान कुछ इस अंदाज में भी नजर आए वीसी और एक्सईएन। (फोटो-आरयू)

एलडीए ने खर्च किए है अरबों रुपए वहीं सबसे बड़ा दोषी

आज की जांच के बाद राज्‍य मंत्री ने सीधे तौर पर एलडीए को फिजूलखर्ची और घोटालेबाजी का जिम्‍मेदार माना है। शासन स्‍तर के अधिकारियों की  जिम्‍मेदारी पर उन्‍होंने कहा कि हर पल न सिर्फ एलडीए के इंजीनियर और अधिकारी इन योजनाओं का काम देख रहे थे, बल्कि अरबों रुपए खर्च भी उन्‍होंने ही किए है। इन परिस्थितियों में सबसे पहले और सबसे बड़ा जिम्‍मेदार एलडीए ही है। सिर्फ जेपीएनआईसी की 865 करोड़ की योजना में उन्‍होंने 50 प्रतिशत तक की धनराशि घोटालेबाजों के पेट में जाने की बात कही है।

काम 50 प्रतिशत भी नहीं तो पेमेंट 80 प्रतिशत क्‍यों

सुरेश पासी ने कहा कि इंजीनियर और अधिकारियों ने जमकर बंदरबांट की है, यही वजह है कि काम 50 प्रतिशत भी नहीं हुआ और कंपनियों को करीब 80 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया। इस बारे में उन्‍होंने उपाध्‍यक्ष सत्‍येंद्र सिंह यादव से भी सवाल दागा कि जब काम ही नहीं हुआ था तो इतना पेमेंट करने की क्‍या जरूरत थी। वीसी कोई जवाब नहीं दे सके। जिस पर राज्‍य मंत्री नेे कहा कि इस मामले में जो भी सामने आएगा उससे जनता की लूटी गई गाढ़ी कमाई की रिकवरी की जाएगी।

मांगने पर भी एलडीए नहीं दे रहा खर्च की वेरीफॉइड कॉपी

सुरेश पासी ने कहा कि चार बार लेटर लिखने के बाद एलडीए अब तक जेपीएनआईसी, जनेश्‍वर पार्क और हेरिटेज जोन में किए गए खर्चों की वेरीफॉइड कॉपी नहीं दे रहा है। इससे साफ हो जाता है कि इन योजनाओं में जमकर भ्रष्‍टाचार किया गया है। अब इसके लिए मुख्‍यमंत्री जी को लिखा जा रहा है, वह ही जांच पूरी होने पर कार्रवाई करेंगे।

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सौ वाली टी शर्ट पांच सौ में बेच रहे हो

चार आना दुकान में पहुंचे राज्‍य मंत्री ने जब सामानों का रेट जाना तो उनका सिर चकरा गया। मामूली सी दिखने वाली टी शर्ट का रेट पांच सौ जानने क बाद उन्‍होंने तपाक से कहा बहुत अंधेर मचाए हो, सौ वाली टी शर्ट पांच सौ में बेच रहे हो।

सवाल-जवाब लिखकर पहुंचे थे इंजीनियर

सवाल की बौछार करने वाले सुरेश पासी के बारे में जानने के बाद आज एलडीए के इंजीनियर बकायदा बच्‍चों की तरह प्रश्‍न और उत्‍तर लिखकर गए थे। हालांकि उन्‍हें इससे कुछ खास राहत नहीं मिली।

कुछ इस तरह के सवाल और जवाब की लंबी लिस्‍ट थी इंजीनियर के पास-

प्रश्‍न- टैरा कोटा क्‍लेडिंग की क्‍या दर है एवं कुल लागत कितनी है?

उत्‍तर- टैरा कोटा क्‍लेडिंग की दर रु 675.90 एवं कुल लागत रु 10.50 करोड़ है।