योगी सरकार में भ्रष्‍ट अफसर-कर्मचारियों की जगह जेल: हरिश्चन्द्र

भ्रष्ट अफसर

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्‍ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा है कि योगी सरकार में भ्रष्ट अफसर व कर्मचारियों की जगह जेल है। सुशासन वाली भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए हाल ही में सात पीपीएस अधिकारियों व दो पीसीएस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

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सोमवार को बीजेपी के प्रदेश मुख्‍यालय पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि भ्रष्‍टाचार करने के मामले में अब तक अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमें दर्ज कर उन्‍हें जेल भेजा गया है। सरकार दागी अधिकारियों की नौकरी खत्म करने के साथ उनकी अवैध संपत्ति जब्त कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है।

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सरकार की हाल ही में की गयी कार्रवाई के बारे में हरिश्‍चन्‍द्र ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी भ्रष्टाचार में संल्पित अधिकारियों को जबरन रिटायर कर सख्त संदेश दिया है कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार व काम में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार ने पंचायती राज के उपनिदेशक सहित पांच पर भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा कराया है तथा होमगार्ड मानदेय घोटाले के जिम्मेदार दो कमांडेंटों को निलंबित किया है। इसके साथ ही पुलिस भर्ती के समय अभ्यर्थियों के मेडिकल टेस्ट में गडबड़ी करने वाले डाक्टर को गिरफ्तार किया गया है।

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इतना ही नहीं गृह विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट और नाकारा पुलिसकर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा भी योगी सरकार ने यूपी के भ्रष्ट अधिकारियों की सूची तैयार की है। सैकड़ों भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी जारी कर उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

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प्रदेश प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि योगी सरकार ने जिस तरह से पुलिस विभाग के लगभग 300 व अन्य विभागों के 200 से अधिक भ्रष्ट व काम न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को समयपूर्व सेवानिवृत्ति दे दी है, जबकि 400 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति पर हमेशा के लिए रोक लगाते हुए सख्त दंड दिया गया है। यह भ्रष्टचार जीरो टॉलरेंस पर एक बड़ा फैसला है, जिसको लेकर जनता का भरोसा सरकार में और अधिक मजबूत हुआ है। भ्रष्टाचार में संलिप्त व काम न करने वाले आइएएस व आईपीएस अधिकारियों की सूची तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई, जिससे इनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई हो सके। साथ ही जिन अधिकारियों की गतिविधियां संदिग्ध हैं और जिनके खिलाफ शिकायतें दर्ज हैं, उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

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