बोलीं मायावती, चुनाव को धार्मिक रंग दे की जा रही संकीर्ण राजनीति, आयोग करे सख्‍त कार्रवाई, 2007 की तरह BSP बनेगी नंबर वन

उमेश पाल हत्‍याकांड
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। चुनाव को धार्मिक रंग देने की कोशिशों के बीच रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। मायावती ने चुनाव आयोग से मांग की है कि कुछ सालों से चुनावों को धार्मिक रंग देकर जिस प्रकार से संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति की जा रही है इस पर चुनाव आयोग को काफी सख्त कदम उठाने की खास जरूरत है। साथ ही मायावती ने आज चुनाव आयोग से यह भी मांग की है कि चुनाव के दौरान आचार संहिता का कड़ाई से पालन कराया जाए।

आज अपने एक बयान में मायावती ने कहा कि चुनाव को धार्मिक रंग देने के मामलों में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी कानून के मुताबिक काम कराने को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सरकारी मशीनरी में चुनाव आयोग का कानूनी खौफ जरूर कायम रहे, तभी चुनाव सही तरीके से हो पाएगा।

यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि इसके अलावा खासकर दलित व अन्य कमजोर वर्गों के लोग अति संवेदनशील पोलिंग बूथों पर अपना वोट डाल सके, इस मामले में भी चुनाव आयोग को काफी सख्त कदम उठाने होंगे, वरना यह लोग मतदान करने से ही वंचित रह जाएंगे।

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वहीं बसपा की सरकार के बनने के बारे में आज मायावती ने कहा कि साल 2007 की तरह ही इस बार भी बीएसपी रेस में नंबर एक पर ही रहेगी और अपने बल पर पूर्ण बहुमत की सरकार जरूर बनायेगी, ऐसा मुझे यहां अपनी पार्टी के लोगों पर पूरा-पूरा भरोसा भी है, चाहे इस चुनाव में भी यहां सभी सर्वे एजेंसियां मैनेज होकर वोट पड़ने तक भी बीएसपी को रेस से बाहर क्यों न दिखाती रहें।

400 सीटे जीतने का सपना देख रही

इस दौरान मायावती ने सपा पर भी निशाना साधा। बसपा सुप्रीमो ने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि यूपी में एक पार्टी ऐसी भी है जो दूसरी पार्टियों के निकाले हुये लोगों के सहारे व अनेक पार्टियों के साथ गठबंधन कर इस चुनाव में 403 में से 400 सीटे जीतने का सपना देख रही है, जिनका यह सपना भी दस मार्च को हवा-हवाई होने वाला है। यही स्थिति हमें बीजेपी व अन्य पार्टियों की भी देखने के लिए मिल रही है।

यूपी की जनता चाहती है संपूर्ण विकास तो बसपा को दे वोट

साथ ही मायावती ने आज प्रदेश की जनता से कहा है कि यूपी की जनता अगर उत्‍तर प्रदेश में बेहतरीन कानून-व्यवस्था तथा प्रदेश का संपूर्ण विकास एवं हर मामले में उत्थान चाहती है तो बसपा को ही अपना वोट दे। इसके अलावा यूपी के दलित आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज तथा सर्वसमाज में से गरीब, मजदूर, नौजवान, बेरोजगार, किसान, व्यापारी, कर्मचारी एवं छात्र, युवा, महिलायें व बुजुर्ग आदि भी अपना हित एवं कल्याण चाहते है तो इन्हें विरोधी पार्टियों के प्रलोभन भरे चुनावी घोषणा-पत्रों के बहकावे में कतई नहीं आना है और न ही बहकावे में आकर उन्‍हें अपना वोट देना है। उन्‍हें अपने मत का प्रयोग सिर्फ बीएसपी को ही देना है, जिसकी कथनी व करनी कोई अंतर नहीं है।

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