आरयू संवाददाता,
पीजीआइ। एसजीपीजीआइ में गुरुवार को उपचार के दौरान एक इंजीनियर की मौत होने पर परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने व संवेदनहीनता का अरोप लगाते हुए पीजीआइ में हंगामा किया। इंजीनियर के आक्रोशित घरवालें इमरजेंसी में तैनात तीन डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग को लेकर पीजीआइ निदेशक के कमरे के पास करीब चार घंटें तक हंगामा करते रहें। इस दौरान परिजन इंजीनियर का शव भी ले जाने के लिए राजी नहीं हो रहे थे। हालांकि बाद में पीजीआइ पुलिस व एसजीपीजीआइ के अधिकारियों के समझाने और मामले की जांच कराने क आश्वासन के बाद परिजन शव लेकर घर चले गए।
बताया जा रहा है कि जानकीपुरम निवासी विनय कुमार वाजपेयी राज्यपाल राम नाईक के दो साल पहले तक निजी सचिव थे। दो साल पहले अवकाश प्राप्त होने के बाद अब वो घर पर ही रहते हैं। विनय वाजपेयी के अनुसार बीती दो जून को डायरिया की शिकायत होने पर एक प्राइवेट कंपनी में बतौर इंजीनियर के पद पर तैनात अपने बेटे गौरव वाजपेयी (38) को लेकर इलाज के लिए शाम सात बजे पीजीआइ की इमरजेंसी पहुंचें थे।
तुम्हारी शक्ल ही नहीं है राज्यपाल का निजी सचिव होने लायक
जवान बेटे की मौत का सदमा उठा रहे विनय वाजपेयी ने आरोप लगाया कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों को काफी मनाने पर चार घंटें बाद रात करीब 11 बजे बेटे का इलाज शुरू किया जा सका। उपचार में डॉक्टर शुरू से ही लापरवाही बरत रहे थे। जिसके चलते उनके बेटे की हालत बिगड़ती जा रही थी। इस दौरान उन्होंने अपना परिचय वहां तैनात खुद को डॉ. वाजपेयी बताने वाले डाक्टर को दिया तो डॉक्टर ने काफी बुरा बर्ताव करते हुए कहा कि राज्यपाल का निजी सचिव होने लायक तुम्हारी शक्ल ही नहीं है, जाओ पहले अपना चेहरा आइने में देखकर आओ।
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निदेशक से भी नहीं दिया मिलने
इसके अलावा इलाज के दौरान बेटे की हालत पूछने पर भी इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर झिड़क देते थे, इतना ही नहीं बेटे की हालत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन इसके बाद भी समय पर उसे वेंटिलेटर नहीं दिया गया। इलाज के दौरान डॉक्टरों की हरकत देखकर उन्होंने एसजीपीजीआइ निदेशक से मिलकर पूरे मामले से अवगत भी कराने की दो-तीन बार कोशिश की, लेकिन स्टाफ ने उनसे भी मिलने नहीं दिया। विनय कुमार का ये भी आरोप था कि डॉक्टरों ने अगर सही ढंग से अपना फर्ज निभाया होता तो आज उनका बेटा उनके बीच होता।
पत्नी ने की डॉक्टरों का लाइसेंस निरस्त करने की मांग, ताकि…
वहीं पति की मौत से रो-रोकर बेहाल गौरव की पत्नी रूचि का कहना था कि इस तरह के डॉक्टरों का लाइसेंस निरस्त होना चाहिए, ताकि भाविष्य में इनकी लापरवाही के चलते किसी परिवार को जीवन भर के लिए इतना बड़ा कष्ट न झेलना पड़े।
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वहीं इस संबंध में पीजीआइ के निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने बताया कि गौरव पर डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी रखे हुए थी। कल रात करीब एक बजे हालत ज्यादा बिगड़ने पर गौरव को वेंटिलेटर पर भी रखा गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उसे बचा नहीं सके। मेरी पूरी सहानभूति मृतक के परिजनों के साथ। साथ ही चूक का पता लगाने के लिए मामले की जांच कराई जा रही है।
इंस्पेक्टर पीजीआइ ने बताया कि मृतक के परिजनों को समझाने पर दोपहर में वो शव लेकर घर चले गए हैं। घरवालों ने फिलहाल किसी के खिलाफ कोई तहरीर नहीं दी है। तहरीर पर मिलने पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।