आरयू वेब टीम। कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन रीयल वर्ल्ड में कितनी प्रभावी है, इसे लेकर पहली बार रीयल वर्ल्ड एसेसमेंट में खुलासा हुआ है। लैंसेट इंफेक्शस डिजीज जर्नल में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक कोवैक्सीन की दो डोज लक्षणों वाले कोरोना संक्रमण को रोकने में 50 फीसदी प्रभावी है। इससे पहले हाल में ही में लैंसेट में प्रकाशित एक अंतरिम स्टडी में दावा किया गया था कि कोवैक्सीन की दो डोज लक्षणों वाले कोरोना संक्रमण के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी है और इसके चलते कोई गंभीर समस्या नहीं है।
एम्स, दिल्ली के कोविड वैक्सीनेशन सेंटर ने अपने सभी 23 हजार कर्मियों को कोवैक्सीन ऑफर किया था। इस स्टडी में दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के 2714 अस्पतालकर्मियों को शामिल किया गया, जिन्हें कोवैक्सीन की डोज दी गई थी। ये सभी कर्मी सिंपटोमेटिक थे और कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए इनका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया था।
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स्टडी में जिन 2714 स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया, उसमें 1617 का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया। ये स्टडी 15 अप्रैल से 15 मई के बीच की गई, जब देश में दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप था और कोरोना केसेज में 80 फीसदी इसी वैरिएंट के थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के बाद सात हफ्ते तक इसकी प्रभावी क्षमता स्टेबल दिखी।
दिल्ली स्थित एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर पारुल कोडान के मुताबिक अभी इस पर और शोध की जरूरत है कि कोवैक्सीन कोरोना के डेल्टा व अन्य खतरनाक वैरिएंट के खिलाफ और गंभीर रूप से बीमार होने के खिलाफ कितना प्रभावी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस स्टडी में वैक्सीन की प्रभावी क्षमता इसके फेज-3 ट्रॉयल के मुताबिक कम रहने का कारण यह रहा कि इसमें अस्पतालकर्मियों को शामिल किया गया जिन्हें कोरोना संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा यह स्टडी दूसरी लहर के पीक के दौरान की गई। इसके अलावा शोधकर्ता के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट के चलते वैक्सीन की प्रभावी क्षमता कम हुई हो।
कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बॉयोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर तैयार किया है। यह निष्क्रिय वायरस की तकनीक पर आधारित है और इसकी दोनों डोज के बीच 28 दिनों का गैप रहता है। इस साल जनवरी में केंद्र सरकार ने इसे 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को लगाने के लिए आपातकालीन मंजूरी दी थी और इस महीने की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसे आपातकालीन प्रयोग के लिए मंजूरी की गई वैक्सीन की सूची में शामिल कर लिया।