इलाहाबाद नहीं, अब कहिए प्रयागराज संग्रहालय, राज्‍यपाल ने दी मंजूरी

प्रयागराज संग्रहालय
राजभवन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करते राज्यपाल।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के बाद सोमवार को इलाहाबाद संग्रहालय का भी नाम बदल दिया गया है। इसके लिए राज्‍यपाल राम नाईक ने मंजूरी दे दी है।

आज राज्यपाल की अध्यक्षता में राजभवन में इलाहाबाद संग्रहालय समिति एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक की गयी। जिसमें संग्रहालय से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए हैं। राज्यपाल ने इलाहाबाद संग्रहालय समिति के सदस्यों के प्रस्‍ताव पर इलाहाबाद संग्रहालय का नाम प्रयागराज संग्रहालय करने पर सहमति प्रदान कर दी।

साथ ही बैठक में इलाहाबाद संग्रहालय में आजाद गैलरी (विथिका) के निर्माण की सैद्धान्तिक स्वीकृति दी गयी। इस गैलरी में भारत के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 की स्वतंत्रता तक के क्रांतिकारियों से संबंधित दुर्लभ छायाचित्रों, कलाकृतियों, अभिलेखों, पत्रों एवं दस्तावेजों आदि को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। कुंभ के दौरान इसका डिजिटल रूप प्रदर्शित किया जाएगा।

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वहीं कुंभ मेले के अवसर पर संग्रहालय द्वारा गैलरी का आधुनिकीकरण, इलाहाबाद से संबंधित पुस्तक का विमोचन, कुंभ मेले में प्राचीन कलाकृतियों की प्रतिकृति का प्रदर्शन व विक्रय किया जायेगा। मेले के दौरान इलाहाबाद संग्रहालय के प्रदर्शनी हाल में मेले के इतिहास से संबंधित प्रदर्शनी भी लगायी जाएगी। जिसमें अन्य कलाकृतियों के साथ राष्ट्रीय अभिलेखागार से उपलब्ध कुंभ मेले के सौ साल पुराने संगम स्थल के नक्शे की प्रतियां प्रदर्शित की जायेंगी।

केंद्र और राज्‍य सरकार के सहयोगी से प्रयागराज में हो रहा बड़ा बदलाव: राज्‍यपाल

बैठक में राज्यपाल ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से प्रयागराज में बड़ा बदलाव हो रहा है। अगामी 15 जनवरी से पहले कुंभ मेले के आयोजन से संबंधित संग्रहालय की तैयारियों को पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि मेले के दौरान संग्रहालय खुलने का समय बढ़ाकर सुबह 10 बजे से शाम आठ बजे तक कर दिया जाए। साथ ही मेले के समय संग्रहालय को सातों दिन खोला जाए।

अंतर्राष्‍ट्रीय स्तर का बनाया जाए संग्रहालय

राज्यपाल ने कहा कि रिसर्च छात्रों, विश्‍वविद्यालय के छात्रों, वालंटियर तथा विभाग के रिटायर्ड लोगों की सेवाएं गाइड के रूप में ली जाए। साथ ही संग्रहालय को अंतर्राष्‍ट्रीय स्तर का बनाया जाये। इसके लिए पहले चरण में 40 करोड़ रूपये के बजट का विशेष प्राविधान किया गया है, जो कि भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।

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बैठक में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल हेमंत राव, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अपर सचिव धर्मेंद्र सिंह गंगवार, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला के महानिदेशक डॉ. बीवी खरबड़े, प्रो. डीएन त्रिपाठी गोरखपुर, लखनऊ संग्रहालय के निदेशक डॉ. एके सिंह, इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ.  सुनील गुप्ता, इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभागाध्यक्ष प्रोफेसर योगेश्‍वर तिवारी व राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय की निदेशक डॉ. नाज रिजवी मौजूद रहीं।