दीपक कुमार पर गिरी योगी की गाज, ये हो सकते हैं लखनऊ के नए SSP  

योगी की गाज

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। जुगाड़ के दम पर राजधानी में लंबे समय से जमे एसएसपी दीपक कुमार की शनिवार को छुट्टी कर दी गयी है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में हुए बवाल और ऋतिक की हत्‍या के मामले में लापरवाही बरतना एसएसपी को भारी पड़ गया। एलयू के मामले में तो खुद डीजीपी ओपी सिंह को हाईकोर्ट में खरी-खोटी सुननी पड़ी।

कहा जा रहा है कि सरकार और पुलिस की किरकिरी कराने वाले इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए खुद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने दीपक कुमार को लखनऊ से हटाने की बात पर मुहर लगा दी। दीपक कुमार को पीएसी गाजियाबाद भेजने की बात सामने आयी है। जानकारों की माने तो सीएम के परिचितों में गिने जाने वाले दीपक कुमार को हटाकर योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश के लापरवाह अफसरों को एक मैसेज भी इसी बहाने दे दिया कि लापरवाही बरतने पर किसी को भी बख्‍शा नहीं जाएगा।

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वहीं राजधानी के नए कप्‍तान के रूप में 2010 बैच के आइपीएस अफसर और बरेली के एसएसपी कलानिधि नैथानी के नाम की चर्चा शनिवार की शाम तक होती रही। हालांकि अभी इस पर शासन की ओर से कोई आदेश नहीं जारी किया जा रहा है। सूत्रों की माने तों लखनऊ के अलावा कई अन्‍य जिलों के कप्‍तानों समेत करीब दर्जन भर आइपीएस अफसरों के तबादले की लिस्‍ट तैयार है।

दूसरी ओर दीपक कुमार के तबादले की खबर लगने पर पुलिस विभाग के लोगों के आलावा आम लोगों ने उनके एसएसपी आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की। इस दौरान लोगों ने उन्‍हें स्‍मृति चिन्‍ह, शाल और भागवत गीता भी भेंट की। राजधानी से जाने के गम में दीपक कुमार भी भावुक दिखे।

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इन गलतियों ने किया दीपक कुमार का नुकसान

एलयू में बवाल के बाद कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने दो टुक कहा था कि तीन दिन से पुलिस को इस बात की जानकारी दी जा रही थी कि हालत बिगड़ सकते हैं, लेकिन पुलिस ने काई ठोस कदम नहीं उठाया। जबकि शिक्षकों का कहना था कि उन्‍होंने एसएसपी से मोबाइल पर संपर्क साधना चाहा, लेकिन उन्‍होंने कॉल तक रिसीव नहीं की। शिक्षक एसएसपी पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े थे।

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पीआरओ के हवाले मोबाइल फोन

वहीं एसएसपी द्वारा मोबाइल फोन नहीं रिसीव करने की शिकायत जनता से लेकर नेता और मीडिया वर्ग के लोग भी कई जगाहों पर करते देखें गए हैं। कहा यहां तक जाता है कि डीजीपी के मातहतों को कॉल रिसीव करने के आदेश जारी करने के बाद भी एसएसपी का अधिकतर समय मोबाइल फोन उनके पीआरओ ही संभालते थे।

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सनसनीखेज हत्‍या के बाद भी नहीं पहुंचे मौके पर

दूसरी ओर 1090 जैसे अति महत्‍वपूर्ण चौराहे पर 11 वर्षीय ऋतिक की सनसनीखेज हत्‍या के बाद भी एसएसपी ने राजधानी में होने के बाद भी घटनास्‍थल पर पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। वहीं हत्‍या को लेकर उन्‍होंने मीडिया में गैरजिम्‍मेदाराना बयान भी दिया। जबकि मामले की गंभीरता को समझते हुए गैर जनपद से लौटते ही डीजीपी ओपी सिंह खुद ऋतिक के घर पहुंचे और उसके परिजनों को संत्‍वाना देने के साथ ही न्‍याय दिलाने की बात कही।

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किशोर को बताया बालिग, हत्‍या के खुलासे पर भी उठे सवाल

वहीं ऋतिक की हत्‍या के मामले में एक नाबालिग दिव्‍यांग को बालिग बताकर जेल भेजे जाने पर भी सवाल उठे हैं। गोमती नदी में डूब रही युवती को बचाने के लिए अपनी जान पर खेलने वाले किशोर को जहां खुद सीएम ने बहादुरी के लिए सम्‍मानित किया था। वहीं ऋतिक की हत्‍या के खुलासे और किशोर को हत्‍यारा बताने की राजधानी पुलिस की कहानी में छेद ही छेद नजर आएं। सामाजिक संगठन के लोगों ने तो हजरतगंज पुलिस से मिलकर इसके लिए आवाज भी उठायी।

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