आरयू इंटरनेशनल डेस्क। भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी से अब तक चार लाख 18 हजार से ज्यादा भारतीयों की मौत हो चुकी है, लेकिन एक अमेरिकी रिपोर्ट का दावा किया गया है कि भारत में कोरोना से सरकार के आंकड़ों से दस गुना से ज्यादा मौत की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोरोना से 34 से 47 लाख लोगों की मौत हुई है।
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत सरकार के आंकड़े वास्तविक संख्या से कम है। अप्रैल और मई में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत में चरम पर थी, तब देशभर के अस्पतालों में जगह नहीं थी, मरीजों को वापस भेजा जा रहा था। बाद में उन मरीजों की घर पर मौत हो गई।
सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के शोधकर्ताओं ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक 34 लाख से 47 लाख के बीच मौत का अनुमान जताया है। रिपोर्ट में कहा गया, असल में मौत लाखों में होने की संभावना है, न कि सैकड़ों में। ये विभाजन और स्वतंत्रता के बाद से देश की सबसे बड़ी मानव त्रासदी बन गई है।
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वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (एनआईडीए) और नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 25,500 बच्चों ने कोविड के कारण अपनी मां को खो दिया जबकि 90,751 बच्चों ने अपने पिता को और 12 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया। कोरोना महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान भारत के एक लाख 19 हजार बच्चों समेत 21 देशों में 15 लाख से अधिक बच्चों ने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खो दिया जो उनकी देखभाल करते थे।
इस अध्ययन के आंकलन के अनुसार, दुनियाभर में 11 लाख 34 हजार बच्चों ने अपने माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी/नाना-नानी को कोविड-19 के कारण खो दिया. इनमें से 10,42,000 बच्चों ने अपनी मां, पिता या दोनों को खो दिया। ज्यादातर बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को गंवाया है।