अमित शाह ने लोकसभा में बताया, आतंकवाद-मॉब लिंचिंग पर नए नियम समेत IPC में क्या हुआ बदलाव

कानूनों में बदलाव
लोकसभा में जानकारी देते अमित शाह।

आरयू वेब टीम। भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) में बड़े बदलाव देखने को मिलने वाले हैं। इन तीनों ही कानूनों की जगह अब जल्द ही भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेने वाले हैं। इसे लेकर मंगलवार को लोकसभा में विधेयक पेश हो गया है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन बदलाव से जुड़े बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (सीआरपीसी) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है।

शाह ने कहा, ‘पहली बार हमारे संविधान की स्पिरिट के हिसाब से कानून अब मोदी जी के नेतृत्व में बनने जा रहे हैं। 150 साल के बाद इन तीनों कानूनों को बदलने का मुझे गर्व है। भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इन बिलों के पेश करने का उद्देशय कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाना है।

मॉब लिंचिंग व आतंकवाद व्याख्यायित

शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष से पूछा कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए।

राजद्रोह कानून निरस्त

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानून को समाप्त कर दिया गया है। इसकी जगह देशद्रोह कानून लाया गया है। देश के खिलाफ बोलना गुनाह होगा। सशस्त्र विद्रोह करने पर जेल होगी। उन्होंने कहा कि पुराने कानून तत्कालीन कानून विदेशी शासकों द्वारा अपना वर्चस्व बनाए रखने में मदद के लिए बनाए गए थे। नए कानून हमारे संविधान के मूल मूल्यों- व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सभी के लिए समान व्यवहार को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।

रोड एक्सीडेंट कर भागने वालों के लिए…

रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाने वालों के लिए बड़ी खबर है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और नए कानून के तहत अगर कोई शख्स रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे दस साल की सजा होगी। वहीं अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स, घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। इस कानून की जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दी है।

महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर बने ये कानून

बिल में गैंगरेप के मामलों में अब 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रवाधान किया गया है। इसके अलावा झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल होगा। इसमें 18 साल से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा इसमें यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही रिकॉर्ड करेगी। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा। बयान रिकॉर्ड करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं।

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