पार्टी से बगावत कर शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बने अजित पवार ने कहा, NCP का नाम-निशान हमारा है और रहेगा

डिप्टी सीएम अजित पवार
भाजपा डिप्टी सीएम की शपथ लेते अजित पवार।

आरयू वेब टीम। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। एनसीपी नेता अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर ना सिर्फ शिंदे सरकार का दामन थामा बल्कि रविवार को उपमुख्यमंत्री पद भी हासिल कर लिया है। अजित पवार महाराष्ट्र की सरकार में शामिल हो गए। वे अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और मंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मौजूद रहे।

वहीं एनडीए सरकार में शामिल होने के बाद अजित पवार ने कहा कि यह फैसला हम सबने मिलकर लिया है। उन्होंने कहा कि आज हमने शपथ ली है, लेकिन आने वाली दिनों में मंत्रीमंडल का और भी विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि एनसीपी का नाम और निशान हमारा है और रहेगा। अजित पवार ने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। देश का नाम विश्वस्तर पर ऊंचा हो रहा है और इसीलिए हमने महाराष्ट्र की एनडीए सरकार को अपना समर्थन दिया है।

बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेंगे

साथ ही अजित पवार ने कहा कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता, विधायक और पदाधिकारी मेरे साथ हैं और हम आगामी चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष में कोई भी नेता ऐसा नहीं है जो नरेंद्र मोदी से टक्कर ले सके। देश में इस समय नरेंद्र मोदी से बड़ा करिश्माई नेता और कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ साल में देश में जबरदस्त काम हुआ है और उसकी तारीफ़ करनी पड़ेगी।

ये भी शामिल 

इस दौरान एनसीपी के नौ विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। इनमें पवार के अलावा छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ शामिल हैं।

कैसे हुआ ये पूरा सियासी खेल!

अजित पवार ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। सूत्रों में मुताबिक, दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की सीक्रेट मीटिंग हुई थी, उसी में इस सियासी बदलाव की रणनीति तैयार हुई।

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बता दें कि अजित पवार शरद पवार से नाराज चल रहे हैं। पहली बार दो मई को जब शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ा था तो इस बात की संभावना थी कि अजित पवार को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। जब पार्टी नेताओं और समर्थकों ने शरद पवार के फैसले का विरोध किया तो अजित ने खुलेआम कहा था कि इस विरोध से कुछ नहीं होगा। पवार साहब अपना फैसला नहीं बदलेंगे। हालांकि चार दिन में ही पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया।

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