प्रचार तक सीमित विश्‍व क्षय दिवस की शुरूआत, आंकड़े उड़ा रहें योगी सरकार के दावों का मजाक: अजय लल्‍लू

विश्व क्षय दिवस

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। टीबी की रोकथाम के नाम पर भाजपा सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम को लेकर बुधवार को कांग्रेस ने योगी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने कहा कि आज से शुरू हुए विश्‍व टीबी (क्षय) रोग दिवस को योगी सरकार बड़े-बड़े विज्ञापनों, होर्डिंग, पोस्टर के माध्यम से प्रचारित कर रही है, लेकिन देश का हर पांचवा मरीज यूपी से है, ये आंकड़े योगी सरकार के दावों का मजाक उड़ाते दिखाई दे रहे हैं।

साथ ही तंज कसते हुए लल्‍लू ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत को पूर्ण रूप से टीबी मुक्त करने का अपने वादे का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं टीबी के मरीजों को पोषण के लिए दी जाने वाली रकम तो दूर, मरीजों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा। अजय कुमार ने अपने बयान आगे मेंं कहा कि शायद यही कारण है कि देश में हर साल चार लाख से ज्यादा लोगों की मौतें टीबी से हो रही हैं।

भाजपा सरकार पर हमला जारी रखते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि यूपी की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं। यहां अस्पतालों में ना तो डॉक्टर हैं और ना ही नर्स। इतना ही नहीं टीबी की दवाओं का भी पूर्णतया अभाव है, जिसकी वजह से यहां के हालात और भी ज्यादा बदतर होते जा रहे हैं। देश का हर पांचवां टीबी से संक्रमित मरीज यूपी से है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

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वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि साल 2017 में पूरे देश में 17 लाख 34 हजार 905 टीबी मरीज मिले थे, जिनमें से 17 प्रतिशत सिर्फ उत्तर प्रदेश से थे। यानी दो लाख 96 हजार 910 संक्रमित मरीज यूपी से थे। जबकि साल 2018 में देश में 21 लाख एक हजार 82 मरीज मिले थे। इसके 20 फीसदी मरीज सिर्फ यूपी से थे। यूपी में 2018 में मरीजों की संख्या चार लाख 11 हजार छह थी। वर्ष 2019 में देश में चिन्हित मरीजों की संख्या 24 लाख एक हजार 589 थी, जबकि यूपी में चार लाख 87 हजार 653 मरीज मिले थे।

इसके अलावा साल 2020 में चिन्हित टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या काफी गिर गई। पिछले साल देश में 18 लाख 11 हजार 105 मरीज मिले थे, जबकि यूपी में तीन लाख 68 हजार 112 मरीज मिले थे। इस साल मरीजों की संख्या गिरने का कारण कोरोना था। मरीज चिन्हित नहीं हो पाए थे, जिसकी वजह से यह संख्या कम होना प्रतीत हो रही थी, जबकि सच्चाई तो यह है कि टीबी के मरीजों को कोरोना के नाम पर भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया।

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