अयोध्‍या में बोले प्रधानमंत्री मोदी, एक समय राम के बारे में बात करने से बचा जाता था, आठ साल में देश ने तोड़ी ये बेड़ियां

अयोध्‍या में मोदी
कार्यक्रम को संबोधित करते प्रधानमंत्री।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। दिवाली से ठीक एक दिन पहले पूरी अयोध्‍या रंग-बिरंगी लाइटों से रौशन हो चुकी है। अयोध्‍या में आयोजित दीपोत्‍सव के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज इसमें शामिल होने अयोध्‍या पहुंचे हैं। पीएम ने रामलला के दर्शन करने के साथ ही आज एक सभा को भी संबोधित किया।

मोदी ने कहा कि प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भगवान श्री रामलला की पूजा-अर्चना का सौभाग्य मिला। राष्ट्र की प्रगति और समस्त देशवासियों की कुशलता की कामना करता हूं।

विपक्ष दलों पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब राम के बारे में, हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करने तक से बचा जाता था। राम के अस्तित्व पर प्रश्‍न चिह्न लगाए जाते थे। बीते आठ वर्षों में देश ने हीन भावना की इन बेड़ियों को तोड़ा है।

मोदी ने कहा कि अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में, जिन मूल्यों को गढ़ा, वो सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्‍वास-सबका प्रयास का आधार हैं।

अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब

इस दौरान रामनगरी के इतिहास पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है। राम अयोध्या के राजकुमार थे, लेकिन आराध्य वो पूरे देश के हैं। उनकी प्रेरणा, उनकी तप-तपस्या, उनका दिखाया मार्ग, हर देशवासी के लिए है। भगवान राम के आदर्शों पर चलना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है। भगवान राम, मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी, और मर्यादा, जिस बोध की आग्रही होती है, वो बोध कर्तव्य ही है।

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हमारे यहां जब भी समाज ने कुछ नया किया, हमने एक नया उत्सव रच दिया। सत्य की हर विजय के, असत्य के हर अंत के…मानवीय संदेश को हमने जितनी मजबूती से जीवंत रखा, इसमें भारत का कोई सानी नहीं है। दीप से दीपावली तक, यही भारत का दर्शन है, यही भारत का चिंतन है, यही भारत की चिरंतर संस्कृति है।