वैश्विक लक्ष्य से पहले ही तपेदिक को खत्म करने की राह पर भारत: प्रधानमंत्री मोदी

वैश्विक लक्ष्य
कार्यक्रम को संबोधित करते पीएम।

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत 2030 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले ही तपेदिक (टीबी) को खत्म करने की राह पर है। प्रधानमंत्री गुजरात के गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य पहल की सफलता में एक प्रमुख कारक के रूप में सार्वजनिक भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारे कुष्ठ उन्मूलन अभियान की सफलता के मुख्य कारणों में से एक है।

पीएम ने कहा कि टीबी उन्मूलन पर हमारा महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जनभागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि हमने देश के लोगों से ‘नि-क्षय मित्र’ या ‘टीबी उन्मूलन के लिए मित्र’ बनने का आह्वान किया है, जिसके तहत लगभग एक मिलियन रोगियों को नागरिकों द्वारा अपनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब, हम 2030 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले टीबी उन्मूलन हासिल करने की राह पर हैं।”

महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधीजी स्वास्थ्य को इतना महत्वपूर्ण मुद्दा मानते थे कि उन्होंने इस विषय पर “स्वास्थ्य की कुंजी” नामक पुस्तक लिखी थी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने का मतलब व्यक्ति के मन और शरीर का सामंजस्य और संतुलन की स्थिति में होना है, जिसका अर्थ है कि स्वास्थ्य ही जीवन का आधार है।

आरोग्यम परम भाग्यम

प्रधानमंत्री ने संस्कृत के श्लोक “आरोग्यम परम भाग्यम, स्वास्थ्यम सर्वार्थ साधनम” का उल्लेख किया जिसका अर्थ है, ‘स्वास्थ्य ही परम धन है और अच्छे स्वास्थ्य से हर कार्य पूरा किया जा सकता है।’ पीएम ने रेखांकित किया कि कोविड-19 महामारी ने हमें याद दिलाया है कि स्वास्थ्य हमारे निर्णयों के केंद्र में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय ने हमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मूल्य भी दिखाया है, चाहे वह दवा और वैक्सीन वितरण में हो या अपने लोगों को घर वापस लाने में हो।

300 मिलियन वैक्सीन खुराक वितरित

दुनिया को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने की भारत सरकार की पहल पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन मैत्री पहल के तहत, भारत ने सौ से अधिक देशों को 300 मिलियन वैक्सीन खुराक वितरित की, जिनमें वैश्विक दक्षिण के कई देश भी शामिल हैं। महामारी के दौरान लचीलेपन को सबसे बड़े सबक में से एक बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को लचीला होना चाहिए। हमें अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति को रोकने, तैयारी करने और प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहना चाहिए।

स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विस्तार

उन्होंने कहा कि आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में सहयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमने महामारी के दौरान देखा कि दुनिया के एक हिस्से में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत कम समय में दुनिया के अन्य सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में, हम समग्र और समावेशी दृष्टिकोण का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहे हैं, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा दे रहे हैं और सभी को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि समग्र स्वास्थ्य और कल्याण हर किसी के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना

गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन से इसकी क्षमता का दोहन करने के प्रयास तेज हो जाएंगे।

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पर्याप्त पोषण और सुरक्षित आश्रय

ये रेखांकित करते हुए कि स्वास्थ्य और पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ हवा, सुरक्षित पेयजल, पर्याप्त पोषण और सुरक्षित आश्रय स्वास्थ्य के प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) के खतरे से निपटने के लिए उठाए गए कदम भी सराहनीय हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एएमआर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य और अब तक की सभी फार्मास्युटिकल प्रगति के लिए एक गंभीर खतरा है।

फंडिंग के दोहराव से बचें

प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि आइए हम अपने नवाचारों को जनता की भलाई के लिए खोलें। आइए हम फंडिंग के दोहराव से बचें। आइए हम प्रौद्योगिकी की समान उपलब्धता की सुविधा प्रदान करें । उन्होंने कहा कि यह पहल वैश्विक दक्षिण के देशों को स्वास्थ्य देखभाल वितरण में अंतर को कम करने की अनुमति देगी और हमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के हमारे लक्ष्य के एक कदम और करीब ले जाएगी।

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