राहुल से चर्चा में बजाज ऑटो के MD ने कहा, लॉकडाउन से संक्रमण तो रुका नहीं, उल्टे अर्थव्यवस्था हो गई तबाह

बजाज ऑटो
राहुल गांधी से बात करते बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज।

आरयू वेब टीम। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए सीरीज में गुरुवार को बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बात की। ये बातचीत राहुल गांधी की कोरोना संकट श्रृंखला की चौथी कड़ी का आधार है। कोरोना संकटकाल पर चर्चा करते हुए राजीव बजाज ने कहा कि कोरोना संकट से निपटने के संदर्भ में भारत ने पश्चिमी देशों की ओर देखा और कठिन लॉकडाउन लगाने का प्रयास किया, जिससे न तो संक्रमण का प्रसार रुका, उल्टे अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।

वहीं राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किए गए संवाद में बजाज ने यह भी कहा कि बहुत सारे अहम लोग बोलने से डरते हैं और ऐसे में हमें सहिष्णु और संवेदनशील रहने को लेकर भारत में कुछ चीजों में सुधार करने की जरूरत है। लॉकडाउन से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश हमने पश्चिम खासकर सुदूर पश्चिम की तरफ देखा और पूर्व की तरफ नहीं देखा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कठिन लॉकडाउन लागू करने का प्रयास किया जिसमें खामियां थीं, इसलिए मुझे लगता है कि हमें आखिर में दोनों तरफ से नुकसान हुआ। इस तरह के लॉकडाउन के बाद वायरस मौजूद रहेगा। आप इस वायरस की समस्या से नहीं निपट पाए…. लेकिन इसके साथ अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।” हमने गलत ग्राफ को फ्लैट कर दिया। कोरोना संक्रमित मरीजों का ग्राफ नहीं, बल्कि जीडीपी का ग्राफ फ्लैट हो गया।

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साथ ही सरकार की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज पर राजीव बजाज ने कहा कि दुनिया के कई देशों में जो सरकारों ने दिया है, उसमें से दो तिहाई लोगों के हाथ में गया है, लेकिन हमारे यहां सिर्फ दस फीसदी ही लोगों के हाथ में गया है।

बजाज ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पहली समस्या लोगों के दिमाग से डर निकालने की है। इसे लेकर स्पष्ट विमर्श होना चाहिए।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लोग प्रधानमंत्री की सुनते हैं। ऐसे में अब (उन्हें) यह कहने की जरूरत है कि हम आगे बढ़ रहे हैं, सब नियंत्रण में है और संक्रमण से मत डरिए।”

वहीं कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे निपट सकते हैं, लेकिन करोड़ों मजदूर ऐसे हैं जिन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। इसके जवाब में बजाज ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारे यहां तथ्यों की कमी रह गई। लोगों को लगता है कि ये बीमारी कैंसर की तरह है। लोगों की सोच बदलने और जीवन की पटरी पर लाने की जरूरत है। इसमें लंबा समय लग सकता है।

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