21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है नई शिक्षा नीति: प्रधानमंत्री

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आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के तहत ’21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ विषय पर एक कॉन्क्लेव को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज हम सभी एक ऐसे क्षण का हिस्सा बन रहे हैं, जो हमारे देश के भविष्य निर्माण की नींव डाल रहा है, जिसमें नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं। नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है।

उन्होंने कहा है कि जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। प्रधानमंत्री ने अंक और मार्कशीट से विद्यार्थियों की प्रतिभा को मापने को अनुचित ठहराते हुए कहा कि एक टेस्ट, एक मार्क्‍सशीट क्या बच्चों के सीखने की, उनके मानसिक विकास की पैरामीटर (पैमाना) हो सकती है? आज सच्चाई ये है कि मार्क्‍सशीट, मानसिक प्रैशरशीट बन गई है।

राष्‍ट्री शिक्षा नीति का उद्देश्‍य तनाव से बच्‍चों को बाहर निकालना

मोदी ने आगे कहा कि पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए। सीखते तो बच्चे तब भी हैं जब वो खेल रहे होते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं, लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो यही पूछते हैं कि मार्क्‍स कितने आए? हर चीज यहीं आकर अटक जाती है।

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छात्रों को विषय चुनने की आजादी

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है। ये सबसे बड़े सुधार में से एक है। अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है। देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा।

न्यू एज लर्निंग का होना चाहिए मूलमंत्र

प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा व्यवस्था में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे ये प्रयोग, न्यू एज लर्निंग का मूलमंत्र होना चाहिए। हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। विद्यार्थी उन हथकरघों में जाकर देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे कारीगरों को बुलाया जा सकता है।

ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें बच्चे

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कितने ही प्रोफेशन हैं, जिनके लिए गहरे हुनर की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर विद्यार्थी इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान भी करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।

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