को-ऑपरेटिव बैंक भर्ती घोटाले पर सीएम योगी सख्‍त, दिया अधिकारी व कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कराने का आदेश

फिरोजाबाद डेंगू

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए शुक्रवार को इस बैंक के तत्कालीन दो प्रबंध निदेशकों के साथ ही यूपी सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव, सदस्य और भर्ती कंप्यूटर एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही बैंक व सेवामंडल के अन्य अधिकारियों व कमर्चारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ये भ्रष्टाचार सपा शासनकाल में सहकारिता विभाग में हुई नियुक्तियों में हुआ बताया जा रहा है। दरअसल साल 2012 से 2017 के बीच हुई भर्तियों की जांच मुख्यमंत्री के आदेश पर एसआइटी कर रही है। अब तक एसआइटी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में आरोपित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफो मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस कार्रवाई की जानकारी दी।

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आदेश के मुताबिक यूपी को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य) एवं सहायक प्रबंधक (कम्प्यूटर) की वर्ष 2015-16 तथा प्रबंधक व सहायक/कैशियर पद पर 2016-17 में की गई भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों में को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड तथा यूपी सहकारी संस्थागत सेवामंडल लखनऊ की तत्कालीन प्रबंध समिति के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित सात आरोपितों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाना है। भर्ती प्रक्रिया के दौरान योग्यता निर्धारण में बदलाव और अन्य अनियमितताएं बरती गईं। इसके माध्यम से नेताओं और नौकरशाहों के परिवारीजनों को नौकरियां बांटी गईं थी।

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साथ ही यूपीसीबी के दो एमडी तथा सेवा मंडल के अध्यक्ष सहित कई आरोपित एसआइटी जांच में को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन दो प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह,  यूपी सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कम्प्यूटर एजेंसी मेसर्स एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के अलावा उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड और सहकारी संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों व कर्मचरियों के पर आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत अभियोग पंजीकृत करने की अनुशंसा की गई थी। इस अनुशंसा को मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है।