जनता का ध्‍यान भटकाने और राजकीय कोष के दुरूपयोग का माध्‍यम है शहरों का नाम बदलना: सुरेंद्र त्रिवेदी

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आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के योगी सरकार के फैसले पर बुधवार को राष्‍ट्रीय लोकदल ने सवाल उठाते हुए सरकार पर हमला बोला है। आज एक बयान में रालोद के प्रदेश प्रवक्‍त सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नसीहत देते हुए कहा है कि शहरों का नाम बदलने से प्रदेश का विकास नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि जिलों के नाम बदलना वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के साथ-साथ राजकीय कोष का दुरूपयोग करने के माध्‍यम के अलावा और कुछ नहीं है।

प्रदेश प्रवक्‍ता तर्क देते हुए बोले कि विकास का रास्ता गांव से होकर जाता है। खेत और खहिलान के साथ-साथ देश का किसान जब तक खुशहाल नहीं होगा तब तक विकास का सपना, सपना ही रहेगा। करीब चार सौ साल बाद इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया एवं इससे पूर्व मुगलसराय का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय इसको देखते ये कहा जा सकता है कि भाजपा सरकार सिर्फ नाम बदलकर ही अपने विकास की इतिश्री मान रही है।

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सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी ने नाम बदले जाने से होने वाले नुकसान की बात करते हुए आज मीडिया से कहा कि किसी जनपद का नाम बदलने से करोड़ो रुपए के राजस्व का भार प्रदेश सरकार पर पड़ता है, क्योंकि सरकारी विभागों के साइन बोर्ड के साथ-साथ प्रिंटिंग सामग्री एवं कंप्‍यूटर के तमाम सॉफ्टेवयर व रेलवे और परिवहन विभाग की टिकट प्रिंटिंग की मशीनों व अन्‍य सामानों पर कई करोड़ रूपए खर्च किए जाते हैं। जिसका सीधा असर प्रदेश की जनता पर पडे़गा, अगर जनता की गाढ़ी कमाई के इन्‍हीं पैसों से इलाहाबाद में कोई फैक्ट्री स्थापित या फिर बंद पड़ी किसी फैक्ट्री को शुरू कर दिया जाता तो पूर्वांचल के हजारों मजदूरों को रोजगार मिल जाता और उन्हें गुजरात या महाराष्ट्र में जाकर मार न खानी पड़ती। ऐसा करने से प्रदेश में कहीं से विकास नजर आने लगता लेकिन खेद है कि मुख्यमंत्री का वास्‍तविक विकास से दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है।

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हमला जारी रखते हुए प्रदेश प्रवक्‍ता ने कहा कि यूपी का असली विकास शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की सजगता से भी संभव है, क्योंकि बेसिक पाठशालाओं में शिक्षकों का अभाव है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से डाक्टर और दवाएं गायब हैं, ये बातें योगी सरकार के विकास की नीयत सामने ला रही हे।

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