हंगामें के बीच राज्‍यसभा में पास हुआ संशोधन UAPA बिल, अब किसी को भी आतंकी घोषित करना होगा आसान

यूएपीए बिल
यूएपीए बिल पेश करते अमित शाह।

आरयू वेब टीम। राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे और तीखी बहस के बीच गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन बिल (यूएपीए) पास हो गया। अब संशोधित बिल के मुताबिक किसी भी व्‍यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। राज्यसभा में वोटिंग में प्रस्ताव के पक्ष में 147, जबकि विपक्ष में 42 वोट पड़े।

इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से सबसे अधिक नोकझोंक किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने लिए सरकार को अधिकार दिए जाने को लेकर हुई। विपक्ष ने इसे “काला कानून” बताते हुए बिल का विरोध किया। कांग्रेस के सांसद पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह ने व्यक्ति को आतंकी घोषित करने को लेकर सवाल खड़े किए।

हाफिज सईद से न करें गौतम नवलखा की तुलना

पी. चिदंबरम ने कहा कि आप सबसे पहले किसे आतंकी बताने जा रहे हैं, चिदंबरम को भी बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाफिज सईद से गौतम नवलखा की तुलना न करें। देशद्रोह और यूएपीए अलग हैं। चिदंबरम ने कहा कि कई एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया गया है, क्योंकि यह लोग गरीब और दलितों के लिए लड़ रहे थे, जबकि पुलिस इन्हें हिंसा फैलाने का दोषी मानती है और उनके खिलाफ केस कर दिया गया। उन्होंने कहा कि देश देख रहा है कि आप सबसे पहले किसे आतंकी बताने जा रहे हैं। अगर आपने किसी ऐसे व्यक्ति को आतंकी बता दिया जिसे सिर्फ सरकार मानती है तो उस दिन कोई चैन से सो नहीं पाएगा।

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बहुत लंबा है ऐसे कानूनों के दुरुपयोग का इतिहास

वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि ऐसे कानूनों के दुरुपयोग का इतिहास बहुत लंबा है और टाडा-पोटा कानून इसकी मिसाल है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में कई मामले आए, लेकिन सजा बहुत ही कम लोगों को हो पाई। कई लोगों को सालों जेल में बंद रखने के बाद कोर्ट से बेकसूर बरी किया जाता है।

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संघीय ढांचे के खिलाफ है यह कानून

साथ ही संजय ने कहा कि असम में तो 12 साल के एक बच्चे पर टाडा के तहत मुकदमा लगाया गया था कुछ मामलों में तो सरकारी पेड़ काटने तक पर ऐसा केस दर्ज हुआ है। यह कानून संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि आप राज्य सरकार को बताए बगैर किसी को भी उठा सकते हैं।

व्यापक स्तर पर बढ़ेगा उत्पीड़न और अन्याय

वहीं, माकपा के सांसद ई. करीम ने कहा कि सरकार “सरकारी आतंकवाद” थोप रही हैं और उसके हिसाब से विरोध में आवाज उठाने वाले को किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसे व्यापक स्तर पर उत्पीड़न और अन्याय बढ़ेगा।

पुलिस ने उसे छोड़ दिया आतंकी यासीन भटकल

हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के इन सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का फैसला क्यों जरूरी है। उन्होंने एक उदाहरण से बताया कि इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी यासीन भटकल 2009 से कई मामलों में वांछित था। कोलकाता पुलिस ने उसे पकड़ा। उसने अपना फर्जी नाम बताया। पुलिस ने उसे छोड़ दिया। अगर उसे आतंकी घोषित किया गया होता, तो यह नौबत नहीं आती।

रहेगा चार स्तर पर स्क्रूटनी का विकल्प

गृह मंत्री ने यह भी कहा कि किसी को आतंकी घोषित करने के बाद चार स्तरों पर स्क्रूटनी का विकल्प मौजूद रहेगा। एक रीव्यू कमिटी होगी, जिसके चेयरमैन हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज होंगे। इसके बाद भी विकल्प बचे रहेंगे।

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