आरयू वेब टीम।
लोकसभा चुनाव 2019 के ऐलान के बाद सोमवार को नोटबंदी लागू करने के तरीके को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के विवरण का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री ने कालेधन पर अंकुश लगने सहित जो कारण गिनाए थे उन्हें केंद्रीय बैंक ने इस कदम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही नकार दिया था, इसके बावजूद नोटबंदी का फैसला उस पर थोपा गया।
इन बातों का खुलासा करते हुए आज एक प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड के बारे में आरटीआइ से मिली जानकारी का ब्योरा रखते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो नोटबंदी के बाद कर चोरी के लिए पनाहगाह माने जाने वाली जगहों पर पैसे ले जाने में असामान्य बढ़ोतरी तथा देश के बैंकों में असामान्य ढंग से पैसे जमा किए जाने के मामलों की जांच की जाएगी।
जयराम रमेश ने मीडिया से कहा कि आठ नवंबर, 2016 को रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा हुई। उसी से कुछ घंटे पहले आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड बैठक हुई। उस बैठक में क्या हुआ किसी को पता नहीं चला। आरबीआइ के गवर्नर रहते हुए उर्जित पटेल तीन बार संसद की समितियों के समक्ष आये। तीनों बोर्ड बैठकों में उन्होंने यह नहीं बताया कि आरबीआइ की बैठक में क्या हुआ था? अब लोगों को पता चल गया है कि मोदी सरकार जाने वाली है तो 26 महीने बाद आरटीआइ के जरिये उस बैठक का ब्योरा दिया गया।
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एक आरटीआइ द्वारा हासिल की गयी बैठक के मिनट्स की जानकारी देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस बैठक में कहा गया कि कालाधन मुख्य रूप से सोना और रियल स्टेट के रूप में है। इसलिये नोटबंदी का कालेधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ये बातें कांग्रेस नहीं आरबीआइ के गर्वनर ने कही थी।
जाली नोटों के बारे में बहुत बातें की गई थीं, प्रधानमंत्री ने कहा था कि जाली नोट बंद हो जाएगी, लेकिन बैठक में आरबीआइ ने कहा कि नोटबंदी से जाली नोटों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि असली नोट 15 लाख में से मात्र चार सौ के फर्जी नोट है। इसलिए इसपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
रिजर्व बैंक का यह भी कहना था कि नोटबंदी का पर्यटन पर तात्कालिक नकारात्मक असर होगा। कांग्रेस नेता ने दावा किया नोटबंदी को लेकर जो कारण दिये गए थे, उनको आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड ने नकारा था।
अपनी प्रेसवार्ता में जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो भी तर्क दिए थे उसको आरबीआइ ने नकार दिया था। इन सबके बावजूद दबाव के चलते आरबीआइ ने कहा कि वह नोटबंदी के साथ है।
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इसका मतलब ये है कि नोटबंदी का फैसला आरबीआइ पर थोपा गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि नोटबंदी एक ‘तुगलकी फरमान’ और ‘घोटाला’ था जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। आज भी पूरा देश नोटबंदी के फैसले को भुगत रहा है, वो कुछ भी कहें लेकिन नोटबंदी से कालेधन पर कोई असर नहीं पड़ा।
एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आरबीआइ की स्वायत्तता और उसकी पेशेवर स्वतंत्रता को फिर से बहाल किया जाएगा। साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आने वाले समय वो यूपीए सरकार की दूसरी योजनाओं की भी सबूतों और सरकारी कागजातों के आधार जनता के सामने उनकी सच्चाई लाएगी।