सड़क हादसों को लेकर अधिकारियों पर सख्‍त हुए CM योगी, बोले ड्राइवर के बहाने जिम्‍मेदारियों से नहीं बच सकतें, ये खास निर्देश भी दिए

सड़क सुरक्षा
अधिकारियों के साथ बैठक करते सीएम साथ में डिप्टी सीएम केशव मौर्या व दिनेश शर्मा।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। यमुना एक्सप्रेस-वे हादसे के चार दिन बाद सड़क सुरक्षा को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों पर काफी नाराज दिखें हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसे सिर्फ चालकों के मत्थे मढ़कर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। लोगों की जिंदगी के साथ समझौता कतई सहन नहीं होगा। परिवहन विभाग में युद्ध स्तर पर सुधार की जरूरत  है।

गुरुवार को लोकभवन में डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या व दिनेश शर्मा की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी वाहन चालकों का मेडिकल चेकअप, लाइसेंस की जांच, उनकी पूरी स्क्रीनिंग और चालकों के स्टेयरिंग पर बैठने से पहले और गंतव्य तक पहुंचने पर उनका ब्रेथ एनेलाइजर टेस्ट कराया जाए। रात में 400 किमी. तक या उससे ज्यादा चलने वाली बसों में दो ड्राइवर रहें। अधिकारियों एवं मंत्रियों के चालकों का भी मेडिकल चेकअप हो। सीएम ने सड़कों की फिटनेस आडिट की स्थाई व्यवस्था करने, पुलिस  विभाग को स्पीड गन मुहैया कराने, रोडवेज वाहन चालकों को पांच घंटे बाद आराम दिये जाने के निर्देश दिये।

टोल आप वसूलते हो, सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आपकी

यमुना एक्सप्रेस वे के हादसे की चर्चा करते हुए उन्होंने बैठक में मौजूद जेपी इन्फ्राटेक के अधिकारियों से कहा कि आपकी कंपनी को गलत कार्यों को करने की इजाजत प्रदेश सरकार नहीं दे सकती है। टोल आप वसूलते हैं, तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम आपकी जिम्मेदारी है। आइआइटी दिल्ली द्वारा बताए गए सुरक्षा के सभी 13 सुझावों का पालन करिए। यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करें अगर मानकों का पालन नहीं हो रहा है, तो कंपनी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें।

स्कूली बच्चों के वाहनों की जांच के निर्देश

मुख्यमंत्री स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी खासे चिंतित दिखे। उन्होंने कहा कि जिन मारुति वैन्स, टैंपों रिजेक्ट कर दिया जाता है, उन्हें स्कूल वाहन में चलाया जा रहा है। रिक्शों पर बच्चे लटक कर स्कूल जाते हैं। पिछले साल कुशीनगर में हुई घटना से भी सीख नहीं ली गई है। स्कूल का वाहन चलाने वाले सभी चालकों की मेडिकल जांच के साथ ही पुलिस सत्यापन कराएं। स्कूली वाहनों का नियमित फिटनेस टेस्ट सत्र शुरू होने से पहले हो जाना चाहिए। इनके लिए जरूरी हो तो छुट्टी के दिन भी आरटीओ कार्यालय खोलें। जो भी वाहन फिटनेस पास हो उनको ही सड़क पर चलने की अनुमति दी जाए। कंडम बसें और डग्गामार वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाए। अन्य प्रदेशों से आने और जाने वाली बिना परमिट की बसों को प्रदेश से गुजरने की अनुमति न दें। जो भी कानून का उल्लंघन करे उससे पूरी सख्ती से निपटें।

ट्रामा सेंटर में आर्थोपैडिक सर्जन की व्यवस्था हो

चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करे कि किसी हादसे 10-15 मिनट के भीतर वहां पर घायलों के लिए जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि जितने भी ट्रामा सेंटर हैं, वो चलने चाहिए, इनमें आर्थोपैडिक सर्जन की व्यवस्था हो।

काली-नीली फिल्म चढ़ाये वाहनों पर हो कार्रवाई

यातायात विभाग को निर्देश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नीली और काली फिल्म चढ़ाए वाहनों पर कार्रवाई की जाए। हेल्मेट और सीट बेल्ट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य किया जाए। एक्सप्रेस-वे, राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण और राज्य मार्ग प्राधिकरण विभाग के अधिकारियों को निर्देश करते हुए उन्होंने कहा कि हाइवे पर जनसुविधाओं को बढ़ाया जाए, पेट्रोल पंप की व्यवस्था की जाए और ई चालान की व्यवस्था में और सुधार लाया जाए।

ओवर स्पीड पर नियंत्रण हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने जिलों में सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों के साथ हर माह बैठक करें। हर तीन महीने पर सड़क सुरक्षा को लेकर सूचना विभाग, परिवहन विभाग और यातायात विभाग व्यापक अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि रम्बल स्ट्रिप हर 15 किमी. पर होना चाहिए।

हादसे के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें- लखनऊ से दिल्ली जा रही बस यमुना एक्सप्रेस-वे पर रेलिंग तोड़ नाले में गिरी, 29 की मौत, दर्जनों घायल      

बैठक में चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव डॉ. अनूप चंद्र पाण्डेय, डीजीपी ओपी सिंह समेत कई अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी मौजूद रहें।