सांसदों के निलंबन के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होकर बोले राहुल गांधी, प्रधानमंत्री सदन में नहीं आते, ये लोकतंत्र चलाने का तरीका नहीं

आरयू वेब टीम।  विपक्ष के सांसदों के निलंबन पर विरोध प्रदर्शन कर रहा विपक्षी दल मंगलवार को पैदल मार्च कर विजय चौक पहुंचा। इस दौरान राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष ने आवाज बुलंद की। राहुल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमारी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है, प्रधानमंत्री मोदी सदन में नहीं आते हैं और हमें मुद्दों पर बहस का मौका तक नहीं दिया जाता है। ये कोई तरीका नहीं है लोकतंत्र चलाने का। हम यहां प्रदर्शन कर रहे हैं ये सिंबल है लोकतंत्र का।

साथ ही कहा कि निलंबित सांसदों की आवाज दबाई गई और वे इसके खिलाफ संसद के बाहर प्रदर्शन में बैठे है। हमें संसद में राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर अपनी आवाज नहीं उठाने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हंगामे के बीच संसद में लगातार बिल पास हो रहे हैं। यह संसद चलाने का तरीका नहीं है, यह लोकतंत्र की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या है।

सरकार डराकर, धमकाकर…

राहुल गांधी ने कहा, ‘विपक्षी सांसदों के निलंबन के 14 दिन हो गए हैं। संसद में विपक्ष जिन मुद्दों पर बहस करना चाहती है, वो बहस सरकार नहीं होने देती है, जहां भी विपक्ष अपनी आवाज उठाने की कोशिश करती है सरकार डराकर, धमकाकर उन्हें निलंबित करके चुप कराने की कोशिश करती है।

सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही

कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘संसद में बहस होनी चाहिए। सभी मुद्दों पर बहस होनी चाहिए, लेकिन जो बहस हम करना चाहते हैं वो हमें करने नहीं दिया जाता। सरकार के ऊपर हम सवाल उठाना चाहें तो सरकार हमें इसकी इजाजत नहीं देती है।’ राहुल ने कहा, ‘तीन से चार ऐसे मुद्दे हैं जिनके बारे में सरकार नाम तक लेने नहीं देती। ये सही तरीका नहीं है। सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है। प्रधानमंत्री सदन में नहीं आते हैं। 13 दिन से वो नहीं आए हैं। ये कोई तरीका नहीं है लोकतंत्र को चलाने का।’

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बता दें कि जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

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