स्वामी प्रसाद मौर्या को मनुवाद से होती दिक्‍कत तो दिलवा देते भाजपा सांसद बेटी संघमित्रा से इस्‍तीफ: शाहनवाज

न्यायपालिका का दुरुपयोग
शाहनवाज आलम। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। जाति को लेकर सपा व भाजपा के नेताओं के बीच चल रही जबानी जंग में कांग्रेस भी कूद गयी है। कांग्रेस ने इसे मात्र मोदी सरकार के घोटालों से ध्‍यान भटकाने की साजिश करार दिया है। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कहा है कि सपा और भाजपा के नेता आपसी सहमति से जातिवादी टिप्पणियां करके राजनीतिक बहस का स्तर गिरा रहे हैं। इसका मकसद मोदी सरकार पर कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से जनता का ध्यान हटाना है।

आज अपने एक बयान में शाहनवाज ने कहा कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या मनुवाद पर रोज टिप्पणी कर रहे, अगर उन्हें सचमुच मनुवाद से दिक्कत होती तो अपनी बेटी और बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्या से इस्तीफा दिलवा चुके होते। उन्होंने कहा कि स्वामी जी को मनुवाद के बारे में इतना ज्ञान भाजपा में मंत्री रहते क्यों नहीं आया यह भी लोगों को बताना चाहिए।

स्वामी प्रसाद मौर्या ने दिए थे मुस्लिम महिलाओं पर आपत्तिजनक बयान

साथ ही कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि मुसलमानों को समझना चाहिए कि जातिवाद पर बयानबाजी का पूरा खेल ही अदानी के भ्रष्टाचार पर घिरी मोदी सरकार को ऐसी बहसों से राहत पहुंचाना है और ऐसे कामों के लिए अगंभीर छवि वाले विपक्षी नेताओं को भाजपा ने लगा रखा है। यह नहीं भूलना चाहिए कि यही स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा में रहते हुए मुस्लिम महिलाओं पर आपत्तिजनक बयान दिया करते थे।

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रोजगार के सवाल पर भागवत को घेरने के जगह…

सवाल उठाते हुए शाहनवाज आलम ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मोहन भागवत के जिस बयान से पूरा प्रकरण शुरू हुआ उसमें उन्होंने यह भी कहा था कि युवा सरकारी नौकरियों के पीछे न भागें, लेकिन सपा के नेता रोजगार के सवाल पर भागवत को घेरने की जगह जाति पर बहस करने लगे, जबकि मोदी को युवाओं का वोट ही इसलिए मिला था कि उन्होंने हर साल युवाओं को दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था।

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सपाईयों ने किस विचारधारा के तहत जलाए थे दलितों के घर

सपा सुप्रीम पर भी निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अखिलेश यादव अपने को शूद्र बताकर मुख्यमंत्री आवास खाली करने के बाद उसके गंगा जल से धोये जाने पर तो सवाल पूछते हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि 2012 में सपा के पक्ष में जनादेश आने और उनके मुख्यमंत्री का शपथ लेने तक 11 जगहों पर सपाईयों ने किस विचारधारा के तहत दलितों के घर जलाए थे।