लाशों के लिए मुर्दा हुआ KGMU प्रशासन, 20 महीने में सड़ चुके हैं तीन हजार शव

केजीएमयू में शव

आरयू फॉलोअप, 

लखनऊ। इंसान तो दूर की बात है आज हम आपको केजीएमयू के उस चेहरे से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसे देखकर शैतान भी शर्मिंदा हो जाए। पोस्‍टमॉर्टम हाउस में पिछले सात नहीं, बल्कि 20 महीने से बिना फ्रिजर के लाशों को सड़ाया जा रहा है। इस दौरान करीब तीन हजार इंसानों के लावारिस शव केजीएमयू में लापरवाही की बलि चढ़ चुके हैं।

वहीं केजीएमयू प्रशासन फ्रिजर की कंपनी को रिपेयरिंग करने का लेटर लिखने के बाद आराम से सो रहा है। दूसरी ओर मॉच्‍युरी की जमीन पर कूड़े से भी बदतर हालत में पड़े इंसानों के करीब आधा दर्जन शवों के सड़ने का सिलसिला आज भी जारी है।

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योगीराज में प्रदेश की राजधानी में लापरवाही और संवेदहीनता की इससे बड़ी कोई दूसरी मिसाल शायद ही देखने को मिले। घटना का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि इस पूरे मामले की जानकारी केजीएमयू वीसी एमएलबी भट्ट, कुलसचिव उमेश मिश्रा और सीएमएस जैसी ऊंची कुर्सी पर बैठे एसएन शंखवार समेत कई वरिष्‍ठों को है। हालांकि पिछले दिनों ‘राजधानी अपडेट’ के इस मुद्दे को उठाने पर सबने इसे गंभीर मामला मानते हुए कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन नतीजा आज तक जीरो है।

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बीते शुक्रवार को खुद वीसी ने भी कहा था कि यह बड़ी गड़बड़ी है, फ्रिजर जल्‍द ही बनवा दिया जाएगा। मुखिया के दावे के चार दिन बीतने के बाद भी फ्रिजर बनवाना तो दूर उसकी जांच करने भी कोई मॉच्‍युरी नहीं पहुंचा। लाशों के साथ संवेदनहीनता के इस मामले के सामने आने के बाद इंसानों के साथ केजीएमयू में क्‍या होता होगा यह आसानी से समझा जा सकता है।

उफ! ये तो लाशों में भी ढ़ूढते हैं रसूख

केजीएमयू प्रशासन के ईलाज में भेदभाव की बात तो अकसर ही सुनाई पड़ती है, लेकिन वह लाशों के मामलों में भी अमीर-गरीब और रसूख देखता है, इसका भी नमूना हमारी पड़ताल में पता चला है। सूत्र बताते हैं कि पिछले महिने संदिग्‍ध हालात में लखनऊ में जान गंवाने वाले ईमानदार आईएएस अनुराग तिवारी के शव को पोस्‍टमॉर्टम के बाद परिजनों ने अगले दिन सुबह ले जाने की बात कही तो केजीएमयू प्रशासन ने उनके शव को सड़ने से बचाने के लिए एटॉनामी विभाग के फ्रिजर में रखवा दिया था। जबकि उसी दिन अन्‍य लोगों की आठ लाशें जमीन पर पड़ी सड़ रही थी।

रोज चार से पांच शव आते हैं लावारिस

पूरे शहर से रोज चार से पांच लावारिस शव मॉच्‍युरी पहुंचते हैं। कभी-कभी इनकी संख्‍या और ज्‍यादा होती है। नियमों के अनुसार परिजनों के इंतजार में इन्‍हें कम से कम तीन दिन पोस्‍टमॉर्टम हाउस में रखा जाता है। शव मिलने के दो-तीन बाद अकसर ही मृतक के घरवालें उसे ढूंढते हुए मॉच्‍यरी पहुंचते हैं तो अपने की लाश का वीभत्‍स रूप देख कलप उठते हैं, कई बार इसको लेकर मॉच्‍युरी पर परिजन हंगामा भी कर चुके हैं।

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सबसे खराब स्थिति दूसरे जनपदों से आकर यहां जान गंवाने वालों के परिजनों होती है, वह शव खराब हो जाने के चलते उसे घर तक नहीं ले जा पाते हैं। मामले का दुखद पहलू यह भी है कि केजीएमयू प्रशासन की वजह से ही अनगिनत लोगों को अपने परिजनों का अंतिम दर्शन भी नहीं हो पाता। इसके अलावा रात में पोस्‍टमॉर्टम नहीं होने के नियम के चलते शाम को आने वाली अन्‍य लाशों को भी जमीन पर ही रखा जाता है, जबकि मॉच्‍युरी के ठीक सामने एक सरकारी स्‍कूल भी है।

बिगड़ जाती है तबियत, भीषण बदबू के चलते लोगों ने बदल दिया रास्‍ता

मॉच्‍युरी में हमेश करीब आधा दर्जन लाशों के सड़ने के चलते आस-पास भीषण बदबू रहती है। जहां इलाके के लोगों ने मॉच्‍युरी के पास से गुजरना छोड़ दिया। वहीं शव लेकर आने वालों की भी अकसर भीषण बदबू के चलते तबियत बिगड़ जाती है।

बता दिया था सीएमओ को जिम्‍मेदार, जेई ने भी नहीं सुनी सीएमएस की बात

बताते चले कि 23 मई को केजीएमयू प्रशासन की इस शर्मनाक हरकत से पर्दा उठाने के बाद कोई कार्रवाई नही हुई तो ‘राजधानी अपडेट’ ने 27 मई को सीएमएस एसएन शंखवार से बात की जिसपर उन्‍होंने बताया कि फ्रिजर सीएमओ को बनवाना है, अगर वह नहीं बनवा रहे हैं तो केजीएमयू मानवीय पहलूओं को ध्‍यान में रखते हुए जल्‍द ही फ्रिजर ठीक करा देगा। दावे के 13 दिन बाद सीएमएस ने 5 जून को फ्रिजर ठीक कराने के लिए विधुत यांत्रिक के जेई उमेश चन्‍द्र यादव को पत्र लिखा, लेकिन जेई ने भी अपने अफसरों के नक्‍शेकदम पर आगे बढ़ते हुए सीएमएस के पत्र पर कई दिनों के बाद भी कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा। ठीक से समझा जाए तो इस पूरे मामले में हर कदम पर न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करने वाली संवेदनहीनता दिखाई गई, बल्कि लापरवाही की भी शर्मनाक ईबारत लिखी गई है।


लगने के बाद से ही खराब है फ्रिजर

कुलसचिव उमेश मिश्रा ने बताया कि फ्रिजर को अक्‍टूबर 2015 में लगवाया गया था। लगने के चंद दिनों बाद ही फ्रिजर खराब हो गया। इसके लिए कई बार फ्रिजर लगाने वाली कंपनी ब्‍लू स्‍टार को इसे ठीक करने के लिए लिखा भी गया, लेकिन उसने सुनवाई नहीं की। कंपनी की लापरवाही की वजह से न सिर्फ उसका पेमेंट रोक दिया गया है, बल्कि अब उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की भी तैयारी की जा रही है।

हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि तीन हजार इंसान की लाशें आपके कैंपस में खराब हुई है, आपके यहां इसके लिए कौन जिम्‍मेदार है तो उन्‍होंने कहा कि इस बारे में वीसी साहब बता पाएंगे। वहीं वीसी के मोबाइल पर फोन करने के बाद केजीएमयू के प्रो. संजय खत्री से बात हुई, जिन्‍होंने दावा किया कि एक से दो दिन में फ्रिजर ठीक करा दिया जाएगा।

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