आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कांग्रेस, सपा व बसपा सहित तमाम विपक्षी दल भगवा करण की नीतियों पर काम करने का आरोप तो लगाते ही रहें हैं, लेकिन बुधवार को सीएम के लिए एक नई चुनौती सामने आयी है। बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या से नाराज 83 पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने राज्य में इस घटना से पहले और बाद में उत्पन्न तनाव को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा है कि सरकार इंस्पेक्टर के हत्यारों की जगह गोकशी के मामले में आरोपितों को ही पकड़ने में अपना ध्यान लगा रही है। पत्र में लिखा गया है कि तीन दिसंबर को हुई हिंसक घटना के दौरान पुलिस अधिकारी की हत्या राजनीतिक द्वेष की दिशा में अब तक का एक बेहद खतरनाक संकेत है। इससे पता चलता है कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति और मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस-नहस हो चुके हैं। राज्य के मुख्यमंत्री एक पुजारी की तरह और बहुसंख्यकों के प्रभुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
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पत्र में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने में नाकाम सीएम को नाकाम बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगा गया है। साथ ही मु्ख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव समेत सभी उच्च अधिकारियों को बेखौफ होकर संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने और कानून का शासन लागू करने की ओर ध्यान दिलाया गया है।
घटना का संज्ञान ले हाई कोर्ट
इसके अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय से इस घटना का संज्ञान लेते हुए न्यायिक जांच का अनुरोध भी किया गया है और मुसलमानों, महिलाओं, आदिवासियों तथा दलितों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिये जन-आंदोलन चलाने की भी अपील की गई है।
सुबोध कुमार की बहादुरी को सलाम की अपील
साथ ही पत्र में राजनीतिक दबाव की परवाह किए बगैर संवैधानिक मूल्यों के लिए खड़े होने वाले सुबोध कुमार की बहादुरी को सलाम करने की अपील भी की गई है। पत्र में अधिकारियों ने लिखा है कि ऐसा पहली बार है, जब उन्होंने इस विषय पर सार्वजनिक रूप से अपनी बात रखी है।
नफरत की राजनीत के खिलाफ एकजुट हो सभी
पूर्व अधिकारियों के समूह ने लिखा है कि यह एक गंभीर स्थिति है, जिसे और सहन नहीं किया जा सकता। सभी नागरिकों को नफरत की राजनीति और विभाजन के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
खुला पत्र जारी करने वालों में पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, योजना आयोग के पूर्व सचिव एन सी सक्सेना, अरुणा रॉय, रोमानिया में भारत के पूर्व राजदूत जूलियो रिबेरो, प्रशासकीय सुधार आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व अध्यक्ष जे एल बजाज, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व आइएएस अधिकारी हर्ष मंदेर समेत कुल 83 पूर्व नौकरशाह शामिल हैं।