आरयू वेब टीम। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की शिकायत के बाद अब पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में की जा रही कथित देर को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को अंतरात्मा की तलाश करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए।
साथ ही कहा कि राज्यपाल केवल तभी कार्रवाई करते हैं, जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है। पंजाब सरकार ने याचिका में विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की असांविधानिक निष्क्रियता से पूरा प्रशासन ठप पड़ गया है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि राज्यपाल के पास बिल को सुरक्षित रखने का अधिकार है। इस पर पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल पूरी विधानसभा से पारित सात विधेयकों को रोके हुए हैं। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये दो राज्य हैं, जहां जब कि किसी को एब्यूज करना हो, तो सदन का सत्र बुला लिया जाता है। ऐसा संवैधानिक इतिहास में कभी नहीं हुआ है।
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तुषार मेहता ने कहा कि राज्यपाल बिल का अध्यन कर बिल पास कर रहे हैं। हम सारा ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे। इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सात बिल पास हुए। राज्यपाल कुछ कर नहीं रहे। स्पीकर ने विधानसभा को फिर से बुलाया है। विधानसभा ने सात विधेयक पारित किये हैं। राज्यपाल बाध्य है- वह या तो विधेयक वापस कर सकते हैं, लेकिन वह यह कहते हुए हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं कि सत्र खत्म होने पर आप दोबारा बैठक नहीं कर सकते। सीजेआई ने कहा कई राज्यो में इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रही है।