किसान व व्‍यापारी की समस्‍या को लेकर अखिलेश ने मोदी-योगी सरकार पर साधा निशाना

गलत आर्थिक नीतियों

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को किसानों व व्‍यापारियों के मुद्दों को लेकर मोदी और योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने आज कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भाजपा सरकार की विफल नीतियों के चलते देश संकट में आ गया है। मंहगाई पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापक स्तर पर आर्थिक अराजकता फैलाई जिसके चलते व्यापार का पूरा ढांचा ही नेस्तनाबूत हो गया।

अपने एक बयान में अखिलेश ने भाजपा सरकारों को घेरते हुए कहा कि किसान को खाद, बीज, बिजली की किल्लत है। जब से मोदी और योगी सरकार ने देश व यूपी में सत्‍ता संभाली है, तभी से कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। भाजपा ने गेंहू और गन्ना किसानों को धोखा दिया। गेंहू खरीद में खूब धांधली हुई। गन्ना मिलों में पेराई सत्र शुरू हो गया है पर किसान को बकाया धन नहीं मिला।

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सपा अध्‍यक्ष ने दावा करते हुए कहा कि अभी ज्वार, बाजरा, उड़द, मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हुआ है, पर हकीकत यह है कि किसान को ज्वार के घोषित 24 सौ की जगह मात्र 12 सौ रुपए, बाजरा के घोषित मूल्य 1950 की जगह 13 सौ, उड़द का घोषित मूल्य 56 सौ की जगह 35 सौ और मक्का के घोषित मूल्य 17 सौ की जगह मात्र एक हजार रुपए ही मिल रहे हैं। कोई खरीद केंद्र नहीं खोला गया है। जिसके परिणामस्‍वारुप बिचैलिये और आढ़तियों के हाथों किसान लुटने को मजबूर है।

अखिलेश ने कहा कि एक ओर किसान को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ डीएपी खाद में आठ सौ रुपए प्रति कुंतल वृद्धि कर दी गई है, जिससे वह 11 सौ से 15 सौ रुपए प्रति कुंतल बिक रही है। 50 किलो यूरिया जो पिछले साल 299 रूपए में मिलती थी अब 320 रूपए में बिक रही है। एनपीके (50 किलो) पिछले साल 1,140 रुपए था जबकि अब 1,350 रुपए में बिक रही है। वहीं 100 किलो गेंहू का बीज पिछले साल 28 सौ था अब 3280 रुपए में मिल रहा है। अरहर, उड़द और मसूर दाल भी दस से 15 रूपए मंहगी हो गई है।

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वहीं अखिलेश ने घरेलू सामानों की बात करते हुए मीडिया से कहा कि घरेलू गैस सिलेण्डर (14.2 किलो) के दाम 979.50 रूपए हो गए हैं। सरसों का तेल और रिफाइण्ड के दाम भी बढ़ गए हैं। बिजली की दरों में भी इजाफा हैं। इस सबके फलस्वरूप किसान ज्यादा कर्जदार होता जा रहा है और मजबूरन फांसी के फंदे पर झूल जाता है, जबकि भाजपा नेतृत्व के पास सिवाय गुमराह करने और अफवाहें फैलाने के दूसरा कोई काम नहीं है। भाजपा के वादों का झूठ अब सबके सामने आ गया है। किसानों की आय दुगनी करने का खूब हल्ला मचा, लेकिन आज तक उसका ब्योरा नहीं मिल पाया है। अभी कृषि कुंभ के नाम पर किसानों को सिर्फ बहकाने का प्रयास हुआ था, लेकिन किसान अब धोखा खाने के लिए तैयार नहीं है।