बड़ी लापरवाही: LDA ने बिना एग्रीमेंट प्राइवेट कंपनी को दी एक लाख जरूरी फाइलें, अब वापस भी नहीं ले पा रहे अफसर

एलडीए

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। बिना एग्रीमेंट के प्राइवेट कंपनी राईटर को अपनी लगभग एक लाख जरूरी फाइलें देने वाला लखनऊ विकास प्राधिकरण अब खुद ही उसे वापस नहीं ले पा रहा है। जरूरत पड़ने पर कंपनी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित गोदाम में कैद अपनी ही फाइलों में से इक्‍का–दुक्‍का को भी हासिल करने लिए एलडीए को लिखा-पढ़ी करने के साथ ही कई-कई दिनों तक प्राइवेट कंपनी के इंताजार में बैठना पड़ रहा।

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वहीं इस बेहद गंभीर मामले का “rajdhaniupdate.com” द्वारा खुलासा करने पर करीब आठ महीना पहले सचिव ने इसे एलडीए की चूक मानते हुए रिकॉर्ड रूम ठीक कराने के बाद फाइलें वापस लेने की बात कही थी। जिसके बाद फाइलों को सही ढ़ग से रखने के लिए एलडीए ने लाखों रुपए खर्च कर अपने कार्यालय के रिकॉर्ड रूम व आलमारियों की मरम्‍मत व रंगाई-पुताई भी कराई थी, लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी ईमानदारी का दम भरने वाले एलडीए की की ऊंची कुर्सियों पर बैठे अफसर अपनी फाइलों से आज तक मुंह मोड़े हैं।

एलडीए की सबसे बड़ी गड़बड़ी
मेंटेन होने के बाद फाइलों के इंतजार में धूल फांकता एलडीए का रिकॉर्ड रूम।

सिर्फ रेंट की फाइलें ही वापस ले सका एलडीए

वहीं हमारे खुलासा करने पर एलडीए में रेंट अनुभाग का काम देख रहे ओएसडी राजीव कुमार ने मामले की गंभीरता को समझा। जिसके बाद उन्‍होंने सख्‍ती के साथ राईटर को पत्र लिखकर रेंट से जुड़ी करीब दो हजार फाइलें वापस एलडीए मंगवा ली, लेकिन एलडीए के अन्‍य जिम्‍मेदार अफसर अब भी शांत बैठे हैं।

संक्षप्ति में जाने क्‍या है मामला-

एलडीए ने निक्‍सी के जरिए अपनी फाइलों के अनुमानित दो करोड़ पेजों के स्‍कैनिंग और मेंटेन करने का काम राईटर को दिया था। ये काम एलडीए कार्यालय में ही दस फरवरी 2017 से दस जून 2017 तक पूरा किया जाना था। हालांकि इस दौरान सरकार बदल गयी और अधिकारियों के इशारे पर राईटर ने करीब सालभर में एक लाख से ज्‍यादा फाइलें ले जाकर अपने गोदाम में रख ली।

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बताया जा रहा है कि इनमें संपत्ति, रेंट, निर्माण के अलावा नजूल और ट्रस्‍ट की फाइलें भी शामिल हैं। जबकि राजधानी में अनुमानित खरबों रुपए की नजूल और ट्रस्‍ट की संपत्तियां है, जिसका मालिक जिला प्रशासन है। एलडीए से अगर फाइलें नहीं भी संभल रही थी तो वह जिला प्रशासन से संपर्क कर भी उन्‍हें लौटा सकता था। वहीं शुरूआत में एलडीए के अफसर एग्रीमेंट के तहत फाइलों को ले जाने की बात कहकर मीडिया को गुमराह भी करते रहें, लेकिन हमारे द्वारा इस पूरे मामले की परत दर परत खोलने के बाद उन्‍होंने भी चुप्‍पी साध ली।

घोटालों की फाइलें करा दी गयी गायब, इसलिए हिचक रहे अधिकारी!

वहीं एलडीए के सूत्र बताते हैं कि रिकॉर्ड रूम से प्राइवेट कंपनी के गोदाम भेजे जाने के बीच बड़ी संख्‍या में सामायोजन, संपत्ति सहित अन्‍य घोटालों से जुड़ी फाइलों को गायब करवा दिया गया है। सूत्रों का ये भी दावा है कि फाइलों के वापस एलडीए आने पर उनकी संख्‍या में भारी कमी सामने आएगी, यही वजह है कि पूरे मामले की गंभीरता को समझने के बाद भी एलडीए के अफसर फाइलों को वापस मंगाने में खुद ही हिचक रहे हैं। हालांकि सूत्रों के दावों और तर्कों में कितना दम है इसका पता फाइलों के वापस आने और मामले की गंभीरता से जांच कराने के बाद ही स्‍पष्‍ट हो सकता है।


ये सारे काम एलडीए अपने स्‍तर से करता है, इसलिए अभी इस मामले की जानकारी नहीं। पूरे मामले की जांच कराकर जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नितिन रमेश गोकर्ण, प्रमुख सचिव आवास

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