आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अगामी 19 मार्च को जहां योगी सरकार के तीन साल पूरे होने पर भाजपा जनता तक सरकार के काम गिनाने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी ओर बुधवार को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार के तीन साल के कार्यकाल को लेकर सवाल उठाएं हैं।
अखिलेश ने आज अपने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार अपनी नाकामी के नए रेकॉर्ड बना रही है। तीन साल बीत गए वह अपनी एक भी जनहित की योजना लागू नहीं कर पाई जो समाजवादी सरकार की योजनाएं थी उन्हीं में हेरफेर या नाम बदलकर दिन काट रही।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभी तक…
कोरोना वायरस की राजधानी लखनऊ समेत यूपी के अन्य जिलों में दसतक के बीच अखिलेश ने कहा है कि दुनिया में कोरोना वायरस का आंतक है। हजारों मौते हो चुकी है। यहां भी इसकी दस्तक हो चुकी है, लेकिन योगी सरकार आंधी में शुतुरमुर्गी चाल अपनाने का ही मन बनाए है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए अभी तक अस्पतालों को संक्रमण मुक्त करने और संक्रमित रोगियों के अलग उपचार की सुचारू व्यवस्था तक नहीं की गई है। कानपुर के उर्सला अस्पताल में तो वार्ड ही बंद कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग का बजट भी खुर्द-बुर्द कर दिया गया।
…लेकिन उसमें आंकड़ेबाजी के अलावा कुछ नहीं
वहीं अखिलेश ने विकास के मुद्दों पर कहा कि प्रदेश में योगी सरकार बड़े-बड़े बजट पेश करने के दावे कर रही है, लेकिन उसमें आंकड़ेबाजी के अलावा कुछ नहीं है। भाजपा सरकार नया बजट लाई तो यह नहीं बता पाई कि पिछले बजट के कितने काम पूरे हुए और कितनी धनराशि खर्च हुई? इस पर भाजपा सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए जिससे जनता की जानकारी में यह स्पष्ट हो सके कि किस विभाग में कितना काम हुआ और पिछले बजट की कितनी धनराशि अवशेष है।
खुली लूट की छूट
अभी पिछले दिनों नगर विकास मंत्री ने जब समीक्षा की तो पाया कि साल 2019-20 के बजट में उनके विभाग के लिए 1989.19 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था। इसमें उनका विभाग 11 महीनों में 45 फीसद धनराशि खर्च ही नहीं कर पाया। तमाम प्रस्ताव लंबित रहे और नए प्रस्ताव नहीं बन पाए। अब उन्होंने अंतिम महीने में अधिक से अधिक धनराशि जारी करने के निर्देश दिए है। एक तरह से यह विभागीय आपाधापी के लिए खुली लूट की छूट देने जैसे होगा।