कांग्रेस नेता ने मायावती से पूछा, भाजपा की मदद करना बसपा के मूवमेंट के लिए जरूरी कैसे, सपा पर भी साधा निशाना

न्यायपालिका का दुरुपयोग
शाहनवाज आलम। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उपराष्‍ट्रपति चुनाव में विपक्ष से उलट जगदीप धनखड़ का समर्थन करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार आलोचनाओं से घिरती नजर आ रहीं हैं। सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने भी उनके फैसले पर सवाल उठाते हमला बोलना शुरू कर दिया है। ऐसे में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने मायावती से पूछा है कि भाजपा की मद्द करना बसपा मूवमेंट के लिए कैसे जरूरी है, लोगों के सामने इसे स्‍पष्‍ट करें। वहीं कांग्रेस नेता ने सपा पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि इस समय सपा व बसपा में भाजपा का करीबी बनने की प्रतियोगिता चल रही है।

यहां बताते चलें कि आज सुबह मायावती ने एनडीए उम्‍मीदवार जगदीप धनखड़ का न सिर्फ समर्थन करने का ऐलान किया था, बल्कि इस फैसले की वजह भी जनहित व बसपा के मूवमेंट को ध्‍यान में रखने की बताई थी।

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आज अपने एक बयान में शाहनवाज आलम ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में बसपा का भाजपा प्रत्याशी को समर्थन के ऐलान से और सपा नेता रामगोपाल यादव की मुख्यमंत्री से मुलाकात से लगता है कि सपा और बसपा में भाजपा से नजदीकी बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा चल रही।

मायावती विपक्षी एकता कमजोर करने के लिए…

उन्‍होंने बीएसपी सुप्रीमो पर आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती विपक्षी एकता को कमजोर करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव में भी भाजपा के साथ जा रही हैं। मुसलमानों को उनके बयान के इस हिस्से पर ध्यान देना चाहिए जिसमें वो इसे अपने मूवमेंट के लिए जरूरी बता रही हैं। इससे यह साबित होता है कि बसपा का कथित मूवमेंट भाजपा के हितों से ही संचालित होता रहा है। इससे यह धारणा भी मजबूत होती है कि बसपा को संघ ने कांग्रेस से दलितों को दूर करने के लिए ही खड़ा किया था। मायावती से दलितों को भी पूछना चाहिए कि भाजपा प्रत्याशी को जितवाना कैसे उनके मूवमेंट के हित में है।

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सपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दिखाता है

वहीं सपा महासचिव रामगोपाल यादव के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात पर शाहनवाज आलम ने कहा कि प्रोफेसर साहब को पिछड़ों के मुद्दे उठाने के लिए अपने भतीजे को समझाना चाहिए। सीएम को सौंपे गए ज्ञापन में मुसलमानों का एक भी मुद्दा न होना भी सपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दिखाता है।

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