आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाले कानपुर एनकाउंटर कांड की जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) का गठन कर दिया गया है। एक वरिष्ठ आइएएस व दो आइपीएस अफसरों की टीम कुल नौ बिन्दुओं पर जांच कर विकास दुबे व उसके गुर्गों की कुंडली खंगालेगी। टीम विकास दुबे व उसके गुर्गों की सालभर की कॉल डिटेल कि जांच करते हुए इस बात का पता लगाने की कोशिश भी करेगी कि आखिर विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में इतना बड़ा साम्राज्य कैसे और किन लोगों की सहायता से खड़ा किया।
मामले की जांच के लिए गठित की गयी एसआइटी का अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी को बनाया गया है, जबकि अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और डीआइजी जे. रविंदर गौड़ टीम के सदस्य हैं। तीन सदस्यीय यह टीम अपनी जांच पूरी करते हुए इसी महीने के अंत में 31 जुलाई तक रिपोर्ट शासन को देंगी।
इन नौ बिंदुओं पर होगी जांच-
– पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में सामने आये कारणों, जैसे- विकास दुबे के खिलाफ जितने भी अभियोग प्रचलित थे, उन पर अब तक क्या प्रभावी कार्रवाई की गयी? विकास दुबे व उसके साथियों को सजा दिलाने के लिए कि गयी कार्रवाई क्या सजा उन्हें सजा दिलाने के लिए काफी थी? इतने विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले अपराधी की जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्रवाई की गयी थी? मुकदमें में जमानत निरस्तीकरण की कार्रवाई पुलिस की ओर से क्यों नहीं की गयी थी?
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– साथ ही विकास व उसकी गैंग से जुड़े सदस्यों की पिछले एक साल की कॉल डिटेल का एसआइटी अध्ययन करेगी। साथ ही इनके संपर्क में आए सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ संलिप्तता का साक्ष्य मिलने की दशा में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
– कुख्यात विकास के खिलाफ कितनी जन-शिकायतें आयीं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर द्वारा तथा जिला के अन्य अधिकारियों द्वारा क्या जांच की गयी व पाये गये तथ्यों के आधार पर क्या कार्रवाई की गयी थी?
– विकास दुबे व उसके साथियों के विरूद्ध गैंगेस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट व एनएसए जैसे अधिनियमों के तहत क्या कार्रवाई की गयी थी। अगर कार्रवाई नहीं की गयी तो इसके लिए पुलिस के कौन-कौन अफसर जिम्मेदार हैं?
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– एनकाउंटर कांड वाली रात विकास दुबे और उसकी गैंग के पास उपलब्ध हथियारों एवं उसके फायर पावर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही की गयी थी। यह किस स्तर पर हुई, क्या थानें में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी। इसकी जांच कर एवं दोषियों को टीम चिन्ह्ति करेगी।
– कानपुर कांड के बाद खुलकर सामने आया है कि विकास दुबे एवं उसके साथियों के पास शस्त्र लाइसेंस एवं असलहा बड़ी संख्या मे था। टीम इस बात का पता लगाएगी कि 60 मुकदमें होने के बाद भी विकास दुबे गैंग चलाने के साथ ही विकास अपने व साथियों के नाम पर असलहे लिए हुए थे। इनका लाइसेंस क्यों नहीं कैंसिल किया गया है।
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– विकास दुबे व उसके पूरे गैंग के सदस्यों की अवैध रूप से अर्जित संपत्ति, व्यापारों एवं आर्थिक गतिविधियों की जांच टीम करेगी। साथ ही यह भी पता लगाएगी कि पुलिस की इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई, लापरवाही या संलिप्तता तो नहीं है, अगर ऐसा है तो किस स्तर के अधिकारी दोषी है?
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– एसआइटी यह भी पता लगाएगी कि विकास दुब व उसकी टीम ने सरकारी तथा गैरसरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कहां-कहां किया है? साथ ही इन कब्जा कराने में अधिकारियों की क्या भूमिका है तथा वह अधिकारी कौन.कौन है, उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाय। अवैध कब्जा हटवाना जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी, यदि उनके द्वारा अवैध कब्जा नही हटवाया गया है तो उनका भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
– साथ ही फैसला किया गया है कि विकास दुबे के पूरे गैंग के साथ पुलिसकर्मियों की संलिप्तता तथा अभियुक्तों व उनके फाइनेंसर्स की संपत्तियों की व आय के स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग से कराने पर भी एसआइटी अपना पक्ष रखेगी।
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इस पूरी जांच की कार्रवाई अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी के कार्यालय में होगी। एसआइटी अध्यक्ष की ओर से कहा गया है कि अगर विकास दुबे व उसके गैंग से जुड़ी इस जांच से संबंधित कोई प्रमाण अगर कोई देना चाहता है तो वह ईमेल, फोन पर देने के साथ ही 20 से 24 जुलाई तक अपरान्ह 12 से दो के बीच उनके बापू भवन स्थित उनके कार्यालय में भी उपलब्ध करा सकता है।