आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कांग्रेस-जेडीएस की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्रोटेम स्पीकर के तौर पर भाजपा विधायक केजी बोपैया की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि बोपैया ही प्रोटेम स्पीकर होंगे। हालांकि, कोर्ट ने कांग्रेस की मांग पर मत विभाजन का लाइव टेलीकास्ट करने का निर्देश दे दिया है।
वहीं कांग्रेस का आरोप था कि सबसे सीनियर सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, लेकिन राज्यपाल वजुभाई वाला ने ऐसा नहीं किया। वहीं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने प्रेसवार्ता कर कहा कि जब वोटिंग का लाइव टेलिकास्ट होगा तो हमें भरोसा है कि पूरी पारदर्शिता बनी रहेगी।
कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम खुश हैं, क्योंकि अब सारी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होगी। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि सब कुछ का लाइव टेलिकास्ट होगा, तो फिर प्रोटेम स्पीकर को हटाने का कोई मतलब नहीं है।
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सिब्बन ने कहा कि अब सबके सामने बहुमत परीक्षण होगा। इस दौरान नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जो कहते हैं कि न खाऊंगा न खाने दूंगा उन्होंने यह क्यों नहीं कहा न खरीदूंगा न खरीदने दूंगा। साथ ही उन्होंने कहा, हम पारदर्शी मतदान प्रक्रिया की मांग करते हुए एक व्यावहारिक समाधान चाहते थे।
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज बहुमत परीक्षण में जो जीतेगा वही सिकंदर। हमारी दलीलों के दौरान जब लाइव ब्रॉडकास्ट की बात हुई तो हमारे आधे से अधिक दलीलों का उत्तर मिल गया। हम किसी भी कीमत पर आज के बहुमत परीक्षण में देरी नहीं कर सकते थे। हमारी जीत तय है, क्योंकि फ्लोर टेस्ट का समय 15 दिनों से घटाकर 24 घंटे कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था। लाइव टेलिकास्ट की बात से हम उम्मीद करते हैं कि निष्पक्षता बनी रहेगी। हमें उम्मीद है कि कुछ गड़बड़ी नहीं होगी और जीत कांग्रेस-जेडीएस गंठबंधन की होगी। सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करते हुए सिंघवी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के शुक्रगुजार हैं कि इमरजेंसी में याचिका सुनी।
यहां बताते चले कि कांग्रेस-जेडीएस ने केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दोनों दलों ने अपनी याचिका में प्रोटेम स्पीकर के अधिकार सीमित करने की मांग भी की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी।
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