पिछली जांच पूरी नहीं, एलडीए में संदिग्ध परिस्थितियों में फिर लगी आग, उठें सवाल

एलडीए में फिर लगी आग
मौके पर जुटे अग्निश्मन और एलडीए के अधिकारी व कर्मचारी।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। पिछले महीने लखनऊ विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड रूम में लगी भीषण आग के बारे में अभी एलडीए के अधिकारी पूरी तरह जवाब भी नहीं दे पाए थे कि आज दोपहर एक बार फिर एलडीए के गोमतीनगर स्थित मुख्‍यालय में संदिग्‍ध परिस्थितयों में आग लग गयी। पुरानी बिल्डिंग के आपात कालीन निकास की सीढि़यों के नीचे आग लगने के चलते चार मंजिल तक धुंआ भरने से एलडीए में अफरा-तफरी मच गयी।

सूचना पाकर मौके पर पहुंचे फॉयर ब्रिगेड के जवानों ने आधे घंटे में आग बुझा दिया। वहीं एलडीए ने प्रेस नोट जारी कर  आग बेकार की चीजों में लगने का दावा करते हुए कोई नुकसान नहीं होने की बात कही है, लेकिन परिस्थितियों और मौके पर जुटे लोग कुछ और ही सवाल उठा रहे थे।

बताया जा रहा है कि रोज की तरह एलडीए की पुरानी बिल्डिंग में लोग काम कर रहे थे। अपरान्‍ह करीब साढ़े तीन बजे बिल्डिंग मे धुंआ भरने पर लोगों ने देखा कि भूतल पर सीढि़यों के नीचे आग लगी है। जिसके बाद फॉयर ब्रिगेड को सूचना देने के साथ ही दो कर्मचारी अग्निरोधक यंत्र लेकर सीढि़यों से नीचे उतरने लगे, लेकिन दम घुटने के चलते आग तक नहीं पहुंचे सके।

एलडीए में फिर लगी आग
ये था एलडीए के इमरजेंसी गेट का हाल।

फिर भूतल पर सीढ़ी का दरवाजा खोलकर आग बुझानी चाही, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद होने के चलते वह भी नहीं कर सके। आखिर में उन्‍होंने करीब आधे घंटे की मशक्‍कत से छेनी हथौड़ी से लोहे के दरवाजे को काटकर आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया। इसी बीच फॉयर ब्रिगेड की तीन गाडि़यों व अन्‍य जवानों के साथ मौके पर पहुंचे सीएफओ एबी पाण्‍डेय व एफएसओ गोमतीनगर शांतानु कुमार ने दरवाजे में किए गए होल से ही पानी डलवाकर आग पूरी तरह से बुझवाई।

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सीढि़यों के नीचे कैसे पहुंच गई आग

आग लगने की जगह इलेक्ट्रिक का कोई भी प्‍वाइंट नहीं होने से शार्टसर्किट होने की बात को खारिज कर दिया गया। वहीं एलडीए के अधिकारियों का मानना है किसी ने जलती सिगरेट फेंक दी होगी, जिससे आग लग गयी। दूसरी ओर प्रत्‍यक्षदर्शियों के अनुसार आग सीढि़यों के नीचे पीछे की ओर लगी थी। नीचे से दरवाजा हमेशा बंद रहता है, जब‍कि ऊपर से कोई जलती हुई चीज सीढि़यों के नीचे वह भी पीछे की ओर नहीं फेंकी जा सकती है।

एलडीए में फिर लगी आग
यही से शुरू हुई थी आग।

संभव है कि किसी ने खास मकसद से आग लगाई होगी। घटनास्‍थल पर भीग चुके फाइलों के अद्धजले टुकड़ें प्रत्‍यक्षदर्शियों की बातों को मजबूती दे रहे थे। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना था कि कार्रवाई नहीं होने की वजह से जिस तरह से एलडीए मुख्‍यालय में खुलेआम सिगरेट के छल्‍ले उड़ाए जाते हैं उससे कुछ भी संभव है।

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वीसी नसीहत देकर तो मातहत सुनकर गए भूल!

घटना भले ही आज की बड़ी नहीं बताई जा रही है, लेकिन घटना ने एलडीए अफसर इंजीनियरों के संजीदगी की पोल जरूर खोल दी है। बताते चलें कि बीते 14 नवंबर को भी एलडीए के रिकॉर्ड रूम में संदिग्‍ध परिस्थितियों में आग लगी थी। जिसके बाद एलडीए उपाध्‍यक्ष ने बताया था कि 15 दिन में प्राधिकरण भवन की फॉयर सेफ्टी ठीक हो जाएगी। साथ ही भविष्‍य मे भी इस तरह की घटना न हो इसके लिए भी मातहतों को निर्देश दिया है। वहीं आज आग लगने पर एलडीए मुख्‍यालय में लगे फॉयर फाइटिंग सिस्‍टम एक बार फिर डेड ही मिले। सीएफओ ने बताया कि फॉयर फाइटिंग सिस्‍टम काम नहीं कर रहे थे, इसके लिए एलडीए को लेटर लिखा जाएगा।

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आग कैसे लगी और कौन सी फाइलें जली नहीं चला पता

पिछली घटना के बाद एलडीए ने आग से जलने वाली फाइलों की संख्‍या 153 बताकर अपना कोरम पूरा कर लिया, जब‍कि ये फाइलें किन अधिकारियों और घोटालों से जुड़ी थी उसे अभी तक मीडिया से छिपाया जा रहा है। वहीं घटना के बाद एलडीए की ओर से शार्टसर्किट से आग लगने की संभावना जताई गयी थी, जबकि परिस्थितियां साजिशन आग लगाने की ओर इशारा कर रही थी। भ्रष्‍टाचार की दृष्टि से बेहद संगीन मानी जाने वाली पिछली घटना की जांच एलडीए चाहता तो विधि विज्ञान प्रयोगशाला से कराकर सारी हकीकत जान सकता था, लेकिन एफएसएल तो दूर जांच की टीम में अग्निश्‍मन विभाग के भी किसी अधिकारी को रखना जरूरी नहीं समझा गया। इस बात पर लोग आज तक सवाल उठाते हैं।

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प्रथम दृष्‍टया लग रहा है कि आग किसी जलती हुई चीज के फेंकने से लगी थी। आग से कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। अधिशासी अभियंता विधुत यांत्रिक और व्‍यवस्‍था अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।    जय शंकर दूबे, एलडीए सचिव

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