रिवर फ्रंट घोटाला: ED ने यूपी सहित तीन राज्‍यों में की छापेमारी, इंजीनियर व ठेकेदारों के घर खंगाले

रिवर फ्रंट घोटाला

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। योगी सरकार बनने के साथ ही तेजी से सवालों में घिरे पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्‍ट गोमती रिवर फ्रंट घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने गुरुवार को यूपी समेत हरियाणा और राजस्थान में छापेमारी की है। गोमती रिवर फ्रंट घोटाला में ईडी के रडार पर आधा दर्जन कंपनियां हैं।

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ईडी की टीमों ने राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर और राजाजीपुरम इलाके में भी इंजीनियरों और ठेकेदारों के घर पर छापेमारी की। ईडी की कार्यवाही से हड़कंप मच गया है। अपरान्‍ह करीब 12 बजे गोमतीनगर स्थित विशाल खण्‍ड तीन स्थित ठेकेदार रिशु कंस्ट्रक्शन के यहां भी छापा मारने ईडी की पांच सदस्‍यों वाली टीम पहुंची थी। उसके साथ एक दूसरी गाड़ी में छह पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। ठेकेदार अखिलेश सिंह के आवास पर छानबीन की और कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिये हैं।

ईडी ने आज लखनऊ में पांच ठिकानों के साथ ही नोएडा, गाजियाबाद व राजस्‍थान के भिवंडी और हरियाणा के फरीदाबाद में भी छापेमारी की है। कहा जा रहा है कि ईडी ने ठेकेदार सिंचाई विभाग के पूर्व इंजीनियर और अधिकारियों के कुल नौ ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी की टीम ने घंटों तलाशी और शाम तक पूछताछ अभियान जारी रखा और कई महत्‍वपूर्ण कागजात, लैपटॉप, हार्ड डिस्‍क और कम्‍प्‍यूटर सहित अन्‍य सामान अपने कब्‍जे में लिए। हालांकि इंजीनियर और अधिकारियों के नाम इडी की ओर से मीडिया को फिलहाल नहीं बताए गए हैं।

रिवर फ्रंट घोटाला
विशाल खण्ड तीन स्थित ठेकेदार के इसी मकान पर इडी ने की छापेमारी की कार्रवाई।

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रिवर फ्रंट का निर्माण कार्य करने वाली गैमन इंडिया लिमिटेड कंपनी के गोमतीनगर स्थित कार्यालय में छापेमारी के दौरान ईडी को रिवर फ्रंट निर्माण के दौरान के कुछ ऐसे बैंक ट्रांजेक्शन मिले हैं, जिनमें बड़ी रकम खातों से नकद निकाली गई।

आशंका है कि यह रकम बतौर कमीशन नेताओं व अधिकारियों को पहुंचाने के लिए निकाली गई थी। ईडी ने कंपनी से रिवर फ्रंट के निर्माण में खर्च की रकम का पूरा ब्योरा मांगा है।

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बताते चलें कि पिछली सपा सरकार में रिवर फ्रंट के तहत गोमती नदी के करीब 13 किलोमीटर लंबे किनारों का सौंदर्यीकरण किया जाना था। शुरू में यह प्रोजेक्ट 656 करोड़ का था, जो बाद में बढ़कर 1513 करोड़ का हो गया। आरोप है कि इस रकम का 95 फीसद यानी 1435 करोड़ खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 प्रतिशत काम पूरा किया जा सका।

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वहीं इस मामले में ईडी ने पिछले साल मुकदमा दर्ज किया था। आरोप येे भी  है कि 1500 करोड़ रुपये के ठेके में 95 फीसदी धनराशि काम होने के पहले ही आवंटित कर दी गई थी। योगी सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश भी की थी।

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