राफेल डील पर उलझी मोदी सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी विमान खरीद प्रक्रिया की जानकारी

आरयू वेब टीम। 

राफेल विमान डील को लेकर एक ओर जहां कांग्रेस व आम आदमी पार्टी समेत तमाम विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर सड़क से लेकर संसद तक में गंभीर आरोप लगा रहें हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी डील को लेकर मोदी सरकार उलझती हुई नजर आ रही है। बुधवार राफेल डील मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तमाम तर्कों को सुनने के बाद ये जानना चाहा है कि आखिरकार इस डील की पूरी प्रक्रिया क्‍या थी। उसने ‘निर्णय की प्रक्रिया’ की जानकारी मांगी है।

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उच्चतम न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि उसे यह जानकारी बंद लिफाफे में देनी होगी। केंद्र सरकार को यह जानकारी 29 अक्टूबर को सौंपनी होगी और उसके बाद 31 अक्टूबर को आगे की सुनवाई होगी।

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वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि ये जनहित याचिका नहीं, बल्कि राजनीतिक हित की याचिका है। ये चुनाव का समय है और कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। अगर कोर्ट याचिका पर नोटिस जारी करता है तो सीधे प्रधानमंत्री को जाता है। इस याचिका पर सुनवाई की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार की तरफ से यह भी दलील दी गयी कि ये नेशनल सिक्योरिटी का मामला है।

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दूसरी ओर मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि राफेल समझौते से संबंधित जो जानकारी उसने मांगी है, उसमें तकनीकि और कीमतों की जानकारी नहीं मांगी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा चलिए ये मान लीजिए कि मैं आपसे इस डील की जानकारी केवल कोर्ट को देने को कहता हूं? तो क्या आप कोर्ट को देंगे।

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साथ ही यह भी कहा कि हम केंद्र को नोटिस जारी नहीं कर रहे है। ये भी साफ कर रहे हैं कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों को भी नहीं रिकार्ड कर रहे है, क्योंकि उनकी दलीलें पर्याप्त नहीं हैं। हम सिर्फ डील को लेकर फैसले की प्रक्रिया पर खुद को संतुष्‍ट करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में सूटेबिल्टी और दाम पर नहीं जा रहे है। उच्चतम न्यायालय में यह याचिका मूल रूप से तीन लोगों ने दायर की थी।

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