फिर गोमती में डूबने से गई दो किशोरों की जान

डूबने से गई दो किशोरों की जान

आरयू ब्‍यूरो

लखनऊ। गोमती में नहाने की कीमत एक बार फिर दो किशोरों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आज शाम गोसाईंगंज के काशीराम पुरवा गांव के पास हादसा होने से मृतक के परिजनों में कोहराम मच गया। हादसे में जान गंवाने वाले दोनों ही किशोरों की उम्र करीब 13 वर्ष है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को पानी से निकलवाया।

इंस्‍पेक्‍टर गोसाईंगंज के अनुसार काशीराम पुरवा गांव निवासी रामकरन यादव और सहदेव रावत दूध बेचने का काम करते हैं। रोज की तरह सहदेव का पुत्र मोहित और रामकरन का बेटा विशाल गांव के पास में ही गोमती में भैंस नहलाने गए थे, तभी दोनों खुद भी नहाने के लिए गोमती में उतर गए। इसी दौरान नदी में बहते खीरे को पाने की लालच में दोनों गहरे पानी में जाने के चलते दोनों डूबने लगे।

यह भी पढ़ें-गोमती में नहा रहे सातवीं के छात्र की डूबने से मौत, साथी को बचाया

उनको डूबता देख आसपास खेल रहे अन्‍य बच्‍चों ने शोर मचाने के साथ ही इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी। ग्रामीण जब तक पानी से दोनों को निकालते उससे पहले ही दोनों की डूबने से मौत हो चुकी थी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक के परिजनों के लिखित अनुरोध पर शवों का पंचनामा कर घरवालों को सौंप दिया।

यह भी पढ़े- IG के निरीक्षण में जिम्मेदारों से खाली, फरियादियों से भरा मिला SSP कार्यालय, 5 सस्पेंड

दूसरी तरफ एक साथ दो किशोरों की मौत हो जाने से जहां परिजनों में रोना-पीटना मचा था। वहीं दूसरी ओर गांव के अन्‍य लोग भी सदमें में थे। ग्रामीणों का कहना था दोनों दोस्‍त थे और हमेशा ही भैंस को नदी में छोड़ने के साथ ही खुद भी नहाते थे, लेकिन आज खीरे की लालच और गोमती में पानी बढ़ने की वजह से दोनों को जान चली गई।

हर साल सैकड़ों लोग गंवाते हैं गोमती में जान, सोती रहती है मित्र पुलिस

बताते चले कि राजधानी में हर साल नहाने के दौरान गोमती नदी में सैकड़ों लोग जान गंवाते हैं। ठाकुरगंज, हसनगंज, वजीरगंज, गोसाईंगंज समेत अन्‍य थाना क्षेत्रों में दर्जनों प्‍वाइंट ऐसे हैं कि जहां कम से कम आठ से दस लोगों की डूबने से मौत होना पक्‍का माना जाता है।

यह भी पढ़े- VIDEO: देखें योगी राज में राजधानी में कैसे लगे पुलिस मुर्दाबाद के नारे

हादसे में जान गंवाने वालों में 75 प्रतिशत लोगों की उम्र 25 वर्ष के अंदर होती है। सबकुछ जानने के बाद भी राजधानी की हाइटेक व जनता की मित्र होने का दावा करने वाली पुलिस लोगो को बचाने का रास्‍त निकालने की बजाए शवों का पोस्‍टमॉर्टम कराने तक अपनी जिम्‍मेदारी सीमित समझती है। जबकि डेंजर प्‍वाइंट पर बचाव के इंतजाम कर दर्जनों लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है।