बच्‍चे से जुड़ पेट में ही बढ़ रहा था ट्यूमर, PGI के डॉक्‍टरों ने अलग कर बचाई मां व नवजात की जान, यूपी में पहली बार मिली सफलता

भ्रूण को अत्याधुनिक तकनीकी आरएफए
अपनी टीम के साथ प्रो. मन्दाकिनी।

आरयू संवाददाता, 

पीजीआइ। एसजीपीजीआइ के डॉक्‍टरों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्‍थान के एमआरएच विभाग ने गर्भ में पल रहे बच्‍चे के साथ ही जुड़े अविकसित भ्रूण (ट्यूमर) को न सिर्फ अत्‍यधुनिक तकनीकी से गर्भ में निष्क्रिय किया, बल्कि बच्‍चे की डिलीवरी भी सफलतापूर्वक कराने में कामयाबी पायी है। अब मां के साथ बच्‍चा भी सुरक्षति है। उत्तर प्रदेश में इस तरह की सफलता पहली बार मिली है।

गुरुवार को एमआरएच विभाग की एचओडी प्रो. मन्दाकिनी प्रधान ने मीडिया को बताया कि उनके पास अकबरपुर से एक गर्भवती इलाज के लिए आई थी, जिसने बताया कि उसको ट्यूमर है।

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अल्ट्रासाउंड करने पर देखा गया कि गर्भ में एक नहीं, बल्कि दो भ्रूण पल रहे थे। एक विकसित था, जबकि दूसरा अविकसित। दोनों की रक्‍तवाहिनी नाल आपस में जुड़ी हुई थी। विकसित हो रहे भ्रूण के दिल से ही अविकसित भ्रूण में भी रक्‍त का संचार हो रहा था।

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बेहद जटिल मामले को प्रो. मंदाकिनी और उनकी टीम ने चैलेंज के रूप में लेते हुए साढ़े पांच महीने के भ्रूण को अत्‍याधुनिक तकनीकी आरएफए के माध्यम से अविकसित भ्रूण से अलग किया। जिसके बाद बच्‍चे की डिलेवरी करायी गयी।

संस्‍थान ने वहन किया खर्च

प्रो. मन्दाकिनी प्रधान ने बताया कि आरएफए नीडल के द्वारा दो जून को असामान्य भ्रूण (ट्यूमर) के रक्‍त वाहिका को बाधित किया गया था। विकसित भ्रूण को पूर्ण कराते हुए 29 अगस्त को सामान्य प्रसव कराया गया और अब जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। यह विधि उत्तर प्रदेश मे पहली बार प्रयोग की गयी है। इसके इंजेक्‍शन की लागत लगभग एक लाख रुपए है, जिसे एसजीपीआइ ने वहन करते हुए मां-बच्‍चे की जिंदगी सुरक्षित की।

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