पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देकर ‘मन की बात’ में बोले मोदी, ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की दिलाता है याद

मन की बात

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि पर उन्हें राजघाट पर श्रद्धांजलि दी। उसके बाद अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को संबोधित करते हुए कहा आज हमारे पूज्य बापू की पुण्यति​​थि है। 30 जनवरी का ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है। अभी कुछ दिन पहले हमने गणतंत्र दिवस भी मनाया, दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है।”

साथ ही कहा कि, ”देश में अभी पद्म सम्मान की भी घोषणा हुई है। पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के गुमनाम नायक हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं।’’ पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज हो जो किसी भी देश को खोखला कर सकता है। बाल पुरस्कारों पर पीएम मोदी ने कहा कि कोशिश करने से सभी सपने साकार हो जाते हैं।

‘मन की बात’ में मोदी ने कहा, ‘‘देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला करता है, लेकिन उससे मुक्ति के लिए इंतजार क्यों करें। यह काम हम सभी देशवासियों को आज की युवा पीढ़ी को मिलकर करना है जल्द से जल्द करना है।’’ इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें, जहां कर्तव्य निभाने का एहसास होता है, कर्तव्य सर्वोपरि होता है वहां भ्रष्टाचार भी नहीं रह सकता।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘’आजादी के अमृत महोत्सव में देश इन प्रयासों के जरिए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुन: प्रतिष्ठित कर रहा है। हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप ‘अमर जवान ज्योति’ और पास में ही ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर प्रज्ज्वलित ज्योति को एक किया गया।’’

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पीएम मोदी ने बताया कि अमृत महोत्सव पर आप सब साथी मुझे ढेरों पत्र और संदेश भेजते हैं, कई सुझाव भी देते हैं। इसी श्रृंखला में कुछ ऐसा हुआ है जो मेरे लिए अविस्मरणीय है। मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने मन की बात पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी है। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है। मुझे भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी 75 पोस्टकार्ड मिले हैं।

मोदी ने कहा, ”प्रकृति से प्रेम और हर जीवन के लिए करुणा हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी। हमारे इन्हीं संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी जब मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया। इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे।

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