VVPAT के मिलान में मिली गड़बड़ी, सवालों के घेरे में चुनाव आयोग की विश्‍वसनीयता

वीवीपैट
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। चुनाव आयोग की विश्‍वसनीयता एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल, चुनाव आयोग ने अपने एक ट्वीट में कहा कि लोकसभा चुनाव में आठ वोटर वेरिएफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के मिलान में अंतर मिला था, यानी .0004 फीसदी वोटों का मिलान नहीं हो पाया था, हालांकि, चुनाव के तुरंत बाद आयोग ने दावा किया था कि किसी भी वीवीपैट के मिलान में अंतर नहीं मिला। चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यह प्रथम दृष्टया मानवीय त्रुटी का मामला है।

राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और आंध्र प्रदेश के आठ वीवीपैट के मिलान में अंतर आया है। अधिकारियों का कहना कि करीब 50 वोटों का मिलान नहीं हो पाया था और यह आम चुनाव परिणामों को प्रभावित नहीं कर सकता था। चुनाव आयोग की इस गलती पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं।

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विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव के अंतिम आंकड़े अभी तक सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए हैं और चुनावों के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने क्यों कहा कि वीवीपीएटी मिलान में कोई अंतर नहीं मिला था।

वहीं मीडिया को चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि चुनाव के अंतिम आंकड़ों को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही सभी आंकड़ों को सार्वजनिक किया जा सकता है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि अंतिम आंकड़ों में वीवीपैट की गड़बड़ी का आंकड़ा बढ़ता है तो चुनाव आयोग क्या कार्रवाई करेगा।

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बता दें, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरिएफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) जुड़ा होता है, जिसके जरिए मतदाता को यह पता चलता है कि जिस कैंडिडेट के लिए ईवीएम में उसने बटन दबाई है, वोट उसे मिला या नहीं।

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