लखनऊ में बोले राजनाथ सिंह, ‘UP में होगा नट-बोल्ट से ब्रह्मोस मिसाइल तक का निर्माण’

राजनाथ सिंह
कार्यक्रम को संबोधित करते राजनाथ सिंह।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने तीन दिवसीय दौरे पर लखनऊ आए हैं। शनिवार को कैंट स्थित सूर्य क्लब सभागार में ‘आत्मनिर्भर भारत’ संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1971 के युद्ध और कारगिल वार के समय कुछ देशों ने हमें हथियार नहीं दिया था। हम उन देशों का नाम नहीं लेंगें, लेकिन आज हम हथियार के मामले में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, आज जब भारत बोलता है तो पूरी दुनिया सुनती है।’

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘आज जब तकनीक का नाम ‘नया योद्धा’ युद्ध के मैदान में आया है, तब हमें कहीं और आगे बड़ा सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमें क्षितिज से परे सैन्य साजो-सामान के क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है।’ जितने महत्वपूर्ण हमारे सैनिकों का शौर्य और प्रदर्शन है, उतने ही महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म, उपकरण और नई तकनीक भी हैं।’ उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां केवल नट-बोल्ट या कलपुर्जों का विनिर्माण नहीं किया जाएगा, बल्कि ड्रोन/यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों के भी विनिर्माण और उन्हें तैयार करने का काम किया जाएगा।

साथ ही कहा कि ‘हमने यूपी और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा के जरिए रक्षा विनिर्माण के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया।’ उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (यूपीडीआईसी) के बारे में मुझे बताया गया, कि इस गलियारे के लिए करीब 1,700 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की योजना है। इनमें 95 फीसदी से अधिक भूमि का पहले ही अधिग्रहण हो चुका है। इनमें 36 उद्योगों तथा संस्थानों को करीब 600 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी गई। 16,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के अनुमानित निवेश के साथ 109 सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं।’

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राजनाथ सिंह ने कहा, यूपीडीआईसी में नट-बोल्ट से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल तक का निर्माण होगा। उन्होंने कहा, अभी तक करीब 2,500 करोड़ रुपए का कुल निवेश विभिन्न इकाइयों की ओर से यूपीडीआइसी में किया गया है। उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां केवल नट-बोल्ट या कलपुर्जों का विनिर्माण नहीं किया जाएगा, बल्कि ड्रोन/यूएवी, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, विमान और ब्रह्मोस मिसाइलों के भी विनिर्माण और उन्हें तैयार करने का काम किया जाएगा।

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