आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में एलडीए की जानलेवा लापरवाही एक बार फिर सामने आयी है। कृष्णानगर के विराटनगर स्थित एक मकान में अवैध तरीके से बनाए गए बेसमेंट के गोदाम में शनिवार को आग लगने के चलते दो मासूमों की दर्दनाक मौत हो गयी। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे फायर बिग्रेड की के जवानों ने करीब दो घंटें की मशक्क्त के बाद आग पर काबू पाया।
दूसरी ओर डेढ़ व चार साल के दो सगे भाइयों की मौत से परिजनों में कोहराम मचा है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही अपनी छानबीन शुरू कर दी है। वहीं इलाकाई लोगों का कहना था कि एलडीए के इंजीनियरों की शह पर कुछ महीने पहले ही अवैध तरीके से मकान मालिक ने रात-दिन मिट्टी की खुदाई कराकर न सिर्फ बेसमेंट का निर्माण करा लिया, बल्कि उसमें गोदाम बनाने के साथ ही किराए पर भी दे दिया।
वहीं फायर ब्रिगेड के जवानों का कहना था अवैध तरीके से बनाए गए बेसमेंट में जाने का रास्ता न सिर्फ बेहद संकरा था, बल्कि बेसमेंट में कहीं से भी धुंआ निकलने का रास्ता तक नहीं था, जिसके चलते समय रहते मासूमों को निकाला नहीं जा सका और दम घुंटने व झुलसने के चलते उनकी मौत हो गयी। हालांकि कोई रास्ता नहीं सूझने पर मासूमों को बचाने के लिए बेसमेंट की छत भी काटी गयी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
बताया जा रहा है कि कुछ माह पहले अशुतोष शर्मा ने विराटनगर में मकान बनाने के साथ ही उसमें बेसमेंट का निर्माण कराकर बेसमेंट टेंट कारोबारी चंद्र पाल सिंह को किराए पर दिया था। इसके साथ ही भवनों में पेंटिंग का काम करने वाले सनी भी बेसमेंट में बनें कमरे में पत्नी खुशबू बेटे शांतनू (चार वर्ष) और ऋतिक (डेढ़ वर्ष) के साथ रह रहा था।
इंस्पेक्टर कृष्णानगर के अनुसार आज सुबह सनी बाहर गया हुआ था, जबकि पत्नी गैस चूल्हा जला रही थी, तभी चिंगारी के चलते पास में रखे गद्दों में आग लग लगी। घटना से घबराई खुशबू बेसमेंट के बाहर लोगों को सहायता के लिए बुलाने ही गयी थी कि इतनी ही देर में रुई के गद्दों व प्लास्टिक की कुर्सियों के चलते आग ने विकराल रूप ले लिया। कुछ ही पल में पूरे बेसमेंट में धुंआ भरने से कोई भी बेसमेंट में उतरने की हिम्मत नहीं दिखा सका और मासूम शांतनू व ऋतिक अंदर ही फंस गए। अपने कलेजे के टुकड़ों को आग की लपटों में फंसा देख रोती-कलपती खुशबू ने बेसमेंट में उतरने की कोशिश की तो जोखिम को देखते हुए लोगों ने उसे भी पकड़ लिया।
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इस दौरान आसपास के लोगों ने पानी फेंककर आग पर काबू पाने का भी प्रयास किया, मगर सफलता नहीं मिली। इस बीच सूचना पाकर फायर ब्रिगेड की टीम के साथ सीएफओ विजय कुमार सिंह, एफएसओ आलमबाग समेत कई अन्य फायर स्टेशनों के अफसर पहुंचे। दमकल कर्मियों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद किसी तरह आग पर काबू पाया।
आग बुझाने के दौररान दमकल कर्मियों ने गेट से जीने के रास्ते बेसमेंट में घुसने का प्रयास किया, लेकिन आग इतनी भयावह और धुंआ इतना अधिक था कि अंदर नहीं जा सके। इसके बाद घर के मुख्य गेट के पास दमकल कर्मी बेसमेंट की छत तोड़ने व सरिया काटने के बाद सीढ़ी लगाकर आग की लपटों के बीच ब्रीदिंग आपरेट्स सेट और ऑक्सीजन मास्क लगाकर अंदर दाखिल हुए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मरणासन्न अवस्था में दोनों बच्चों को निकालकर सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दोनों बच्चों की मौत से पति-पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था।
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मुख्य अग्निशमन अधिकारी लखनऊ विजय कुमार सिंह ने बताया कि मानकों को दरकिनार कर मकान कुछ समय पहले ही बनाया गया है। अभी मकान के ऊपरी हिस्से में कुछ निर्माण कार्य चल भी रहा था। बेहद खतरनाक ढ़ग से बनाए गए बेसमेंट में कोई खिड़की या रोशनदान तक नहीं था, नीचे जाने का रास्ता भी बेहद संकरा था। जिसके चलते कुछ ही देर में धुंआ पूरे बेसमेंट में फैल गया और संभवता: दम घुटने के ही चलते दोनों बच्चों की मौत हो गयी। आग लगने का कारण पता लगाने के साथ ही मकान की पूरी स्थिति जानने के लिए एलडीए से भी संपर्क किया जाएगा।
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दूसरी ओर दो मासूमों की दर्दनाक मौत के बाद एलडीए के प्रवर्तन जोन दो के प्रभारी अधिशासी अभियंता दिवाकर त्रिपाठी समेत अन्य इंजीनियर व अधिकारी मकान के संबंध में जानकारी देने से बचते रहें। एलडीए के सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन जोन दो में आने वाले कृष्णानगर क्षेत्र में एक जेई काफी समय से तैनात है, कुछ समय पहले चीफ इंजीनियर इंदूशेखर सिंह के अनुमोदन पर डीएम व एलडीए वीसी अभिषेक प्रकाश ने खुद उसका ट्रांसफर जोन दो से जोन में कर दिया था, लेकिन आदेश को दरकिनार कर आज तक जेई कृष्णानगर क्षेत्र में ही प्रवर्तन का काम देख रहा है।
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बताते चले कि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब अवैध भवन ने किसी की जान ली है। इससे पहले भी एलडीए के प्रवर्तन दस्ते की रिश्वतखोरी व लापरवाही के चलते चारबाग में बनाए गए दो अवैध होटलों में आग लगने के से मासूम समेत सात लोगों की जिंदा जलकर मौत, आधा दर्जन लोग झुलसने से घायल हो चुके है। इस मामले में भी एलडीए के वरिष्ठ अधिकारी सालों तक अवैध होटलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार इंजीनियर व कर्मचारियों को बचाने की जुगत में लग रहें, हालांकि सीएम योगी की सख्ती के बाद हाल ही में एलडीए ने दस अधिशासी अभियंता, सात सहायक अभियंता, 18 जेई, दो बाबू व सात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नाम शासन को कार्रवाई के लिए भेजे हैं।