FIR दर्ज होने पर स्वामी प्रसाद ने कहा, मेरे न रहने पर भी नाम शामिल होना साबित करता है थाने में बैठकर मजबूरी में लिखी गई

स्वामी प्रसाद

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के सपोर्ट में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं कथित रूप से रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थीं। इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य सहित दस लोगों के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआइआर दर्ज की थी। वहीं अब अपने खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया देते हुए तंज कसा है। सपा नेता ने कहा कि मेरे न रहने पर भी मेरा नाम एफआइआर में शामिल करना इससे साबित होता है कि यह दबाव में थाने में बैठकर मजबूरी में एफआइआर लिखी गई है।

स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने आज कहा कि महिलाओं और शूद्र समाज के सम्मान की बात करना, आपत्तिजनक टिप्पणी को हटाने की मांग करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता। सरकार के दबाव में भले ही एफआइआर लिख ली गई हो, लेकिन न्यायालय से सबको न्याय मिलेगा। पहले तो मैं जानता था कि ये सारे अपराधी हैं जो धर्म का चादर ओढ़ कर बैठे हैं, लेकिन आज इन्होने मेरी सुपारी देकर जनता को अपना असली चेहरा दिखा दिया।

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इससे पहले स्वामी प्रसाद ने कहा था कि धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलते उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा। इतना ही नहीं सपा नेता ने कहा कि हाल ही में मेरे दिये गए बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने और सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है। अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद है।

वहीं अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्‍यम से ट्वीट कर कहा कि हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा की धूम मची है। आप कैसे बाबा है जो सबसे सशक्त पीठ के महंत होने के बावजूद सिर तन से जुदा करने का सुपारी दे रहे हैं, श्राप देकर भी तो भस्म कर सकते थे। 21 लाख  भी बचता, असली चेहरा भी बेनकाब न होता।

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