लखनऊ में बोलीं सुप्रिया श्रीनेत, “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” सिर्फ चुनावी नारा नहीं, आंदोलन की शुरूआत, IWD पर मार्च निकालेगी कांग्रेस

आंदोलन की शुरूआत
मीडिया को जानकारी देतीं सुप्रिया श्रीनेत साथ में अशोक सिंह।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव द्वारा महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने व सशक्‍त बनाने के लिए दिया गया “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नारा लंबे समय तक गूंजेगा। इस बात की पुष्टि कांग्रेस की राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता सुप्रिया श्रीनेत ने रविवार को लखनऊ में की है। सुप्रिया श्रीनेत ने सीधे तौर पर मीडिया से कहा है कि इस नारे को सिर्फ एक चुनावी नारा नहीं समझा जाए, बल्कि यह नारा उत्‍तर प्रदेश समेत देशभर में महिलाओं को सशक्‍त और सक्षम बनाने के लिए शुरू किया गया एक आंदोलन है।

इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय राजनीति में महिलाओं और उनकी आकांक्षाओं को मुख्य धारा में लाना है। यह उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ, जिसमें कांग्रेस ने वादा किया और फिर महिला उम्मीदवारों को 40 प्रतिशत टिकट देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया।

रविवार को कांग्रेस के प्रदेश मुख्‍यालय पर आयोजित एक प्रेसवार्ता में कांग्रेस प्रवक्‍ता अपनी बात रख रहीं थीं। इस दौरान सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस (आइडब्‍ल्‍यूडी) के मौके पर अगामी आठ को कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्‍व में लखनऊ में “लड़की हूं, लड़ सकती हूं मार्च निकालेगा”।

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इस मार्च में पूरे देश से कांग्रेस की निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि, डॉक्टर्स, सेविकाओं, शिक्षिकाएं के साथ खेल और सिने जगत से जुड़ी महिलाओं के अलावा कांग्रेस महिला पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल होंगी। दिन में 12 बजे से शुरू होने वाला यह मार्च बेगम हजरत महल चौराहे से ऊदा देवी चौराहा होते हुए जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के पास समाप्‍त होगा।

सुप्रिया ने कहा कि यह महिला मार्च एकजुटता का संदेश देने और राजनीति को अधिक समावेशी बनाने के साथ-साथ राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का भी प्रतीक है। नारी शक्ति के राजनीतिक पुनरोत्थान को अब कोई ताकत नहीं रोक सकती है और उत्तर प्रदेश से इसकी शुरुआत हो चुकी है।

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इस मौके पर कांग्रेस प्रवक्‍ता ने ऊदा देवी के व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि लखनऊ में पासी समाज में जन्मीं ऊदा देवी के पति लखनऊ के छठे नवाब वाजिद अली शाह की सेना में सैनिक थे। पति को आज़ादी की लड़ाई के लिए सेना के दस्ते में शामिल होता देख निडर ऊदा देवी भी वाजिद अली शाह के महिला दस्ते में शामिल हो गईं। उन्होंने महिला दस्ते में रहकर और कई दलित महिलाओं को एक अलग बटालियन तैयार की, जिसे ‘दलित वीरांगनाओं’ के रूप में जाना जाता है। प्रेसवार्ता में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्‍ता अशोक सिंह भी मौजूद रहें।