आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। पिछली घटनाओं से सबक नहीं लेने के चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण में आग लगने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। मंगलवार की सुबह एक बार फिर गोमतीनगर स्थित एलडीए मुख्यालय की बिल्डिंग में आग लग गयी।
सूचना पाकर मौके पर पहुंचे फॉयर ब्रिगेड के जवानों ने दो टैंकर पानी की सहायता से आग बुझाया, लेकिन तब तक लाखों रुपए का सामना जलकर नष्ट हो चुका था। वहीं आग लगने का कारण यूपीएस के लगातार ऑन रहने की वजह से शार्टसर्किट का होना बताया जा रहा है।
ये था मामला
एलडीए की नई बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित कमरे में पूरी बिल्डिंग के कम्प्यूटर और नेटवर्किंग को बिजली का बैकअप देने के लिए 100 केवीए का एलडीए की ओर से यूपीएस लगाया गया है। सुबह करीब साढ़े सात बजे कमरे से धुंआ उठता देख वहां तैनात सुरक्षाकर्मी मलिक ने इसकी जानकारी एलडीए इलेक्ट्रीशियन कमता प्रसाद को दी।
कमता ने इसकी सूचना फॉयर ब्रिगेड को देने के साथ ही सुरक्षाकर्मियों की सहायता से दरवाजे का शीशा तोड़कर अग्निशमन यंत्र की सहायता से आग पर काबू पाना शुरू किया। इसी दौरान गोमतीनगर फॉयर स्टेशन की दो गाड़ियों और अपनी टीम के साथ सीएफओ अभय भान पाण्डेय भी पहुंच गए। फायर ब्रिगेड के जवानों ने करीब आधे घंटे में ही आग बुझा दी।
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बंद नहीं करते थे यूपीएस
घटना के बाद सामने आया कि जिस यूपीएस में आग लगी एलडीए के इंजीनियर उसे बंद कराना ही जरूरी नहीं समझते थे। जबकि जानकार बताते है कि यूपीएस के रात में चलने का कोई मतलब नहीं है। तमाम विभाग और बैंक में भी इसे सुरक्षा की दृष्टि से सिर्फ आफिस टाइम ही चालू रखा जाता है।
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दावा करने वाले अफसर, नहीं कराते बाहरी संस्था से जांच
बताते चलें कि एलडीए मुख्यालय, लालबाग कार्यालय के अलावा जेपीएनआइसी में भी संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग चुकी है। आग लगने के बाद कई सवाल भी उठते हैं, लेकिन विधि विज्ञान प्रयोगशाल या फिर किसी दूसरे विशेषज्ञ संस्था से अग्निकांड की जांच कराने की जगह एलडीए के अधिकारी सावधानी बरतने की बात करते हैं, लेकिन कुछ महीना बीतते ही एक बार फिर एलडीए में आग लग ही जाती है।
… तो होता बड़ा नुकसान
आग जिस कमरे में रखे यूपीएस में लगी थी, उसके पास ही 20 बड़ी बैट्रियां रखी थी, जबकि कमरे से ठीक सटी केबिन में एलडीए का इलेक्ट्रिक पैनल रूम था। वहीं कमरे में बाहर से ताला बंद था। इस दौरान सूझबूझ दिखाते हुए एलडीए के बिजली मिस्त्री कमता ने न सिर्फ दरवाजे का शीशा तोड़ा बल्कि एलडीए में लगे अग्निशम यंत्र की मद्द से आग को फॉयर ब्रिगेड के आने तक काफी हद तक काबू में रखा। यहीं वजह रही कि आग बैट्रियों और पैनल रूम तक नहीं पहुंच सकी। आग अगर इन दोनों में से किसी एक भी जगह पहुंच जाती तो विकराल रूप लेकर बड़ा नुकसान पहुंचाती।
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आग यूपीएस में ओवरहीटिंग के बाद शार्टसर्किट के चलते लगी थी। जिसकी सूचना करीब सवा आठ बजे कंट्रोल रूम को दी गयी थी। समय रहते गोमतीनगर फायर स्टेशन की दो गाड़ियों की सहायता से आग पर काबू पा लिया गया था। अभय भान पाण्डेय, सीएफओ
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