वाराणसी में बोले PM मोदी, युवा ही देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा

काशी में मोदी
कार्यक्रम को संबोधित करते नरेंद्र मोदी।

आरयू ब्यूरो, वाराणसी। जिस काशी को समय से भी प्राचीन कहा जाता है, जिसकी पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी से सशक्त कर रही है। ये दृश्य हृदय में संतोष भी देता है, गौरव की अनुभूति भी कराता है और यह विश्‍वास भी दिलाता है कि अमृत काल में सभी युवा देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में अपने संबोधन में कही। पीएम ने कहा युवा शक्ति विकसित भारत का आधार है। हर प्रतियोगी बधाई के पात्र हैं। भारत का युवा ही देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

काशी शिव की नगरी

मोदी ने कहा एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्‍व में कही जाती थी। इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी। काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्‍वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे। यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे। यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं। काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है।

विकास का डमरू बज रहा

वाराणसी दौरे के दूसरे दिन बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय पहुंचे पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत नम: पार्वती पतये हर-हर महादेव’ मंत्र से की। पीएम मोदी ने कहा कि काशी सर्व विद्या की राजधानी है। आज काशी में चारों तरफ विकास का डमरू बज रहा है, यहां पर आज करोड़ों रुपए की योजनाओं की शुरुआत हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि काशी नें करने वाले तो सिर्फ महादेव हैं।

काशी में पिछले दस सालों में विकास…

पीएम ने कहा कि काशी में पिछले दस सालों में विकास के जो भी कामकाज हुए हैं, उसे लेकर आज दो किताबें लॉन्च की गई हैं। इन किताबों में काशी के दस साल की विकास यात्रा के हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन किया गया है। पीएम ने कहा कि काशी में कुछ भी करने वाले तो सिर्फ महादेव हैं, हम सब तो निमित्त मात्र हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही समृद्ध हो जाती है।

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काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली

मोदी ने आगे कहा कि काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला था। पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं, जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है। काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है।

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