आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की तमाम परेशानियों को लेकर सोमवार को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला बोला है। साथ ही अखिलेश ने यूपी को देश भर में दूसरे नंबर पर आने को लेकर भी सवाल उठाएं हैं।
अपने एक बयान में अखिलेश ने कहा है कि भाजपा सरकार की जादूगरी कमाल की है। “ईज आफ डूइंग बिजनेस” रैंकिंग में उत्तर प्रदेश लंबी छलांग लगाकर दूसरे पायदान पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल 2019 में 12वीं रैंकिंग थी। एक साल में इतनी लंबी उछल-कूद तो बड़े-बड़े धावक भी शायद न दिखा पाएं। मगर भाजपा है तो कुछ भी मुमकिन है। अफवाह और बहकावे की राजनीति में तो उसकी गजब की मास्टरी है।
सपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि भाजपा सरकार के अनियोजित लॉकडाउन और गलत आर्थिक नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। अकेले गौतमबुद्धनगर में तीन सौ से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हो गई है। हजारों बंदी के कगार पर है। कहां गया 20 लाख करोड़ का पैकेज? बंद फैक्ट्रियों में लाखों की मशीनें धूल फांक रहीं हैं। प्रदेशभर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, विनिर्माण, संचार, होटल आदि व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हैं।
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हमला जारी रखते हुए अखिलेश ने कहा कि यूपी में रोजगार नहीं है, किसान, नौजवान आत्महत्या कर रहे है, कानून व्यवस्था बर्बाद है, लूट-हत्या बलात्कार, अपहरण की वारदातें थम नहीं रही हैं। विकास अवरूद्ध है। छह माह से कोरोना संक्रमण में लगातार बढ़ोत्तरी के चलते सभी गतिविधियां बंद हैं। पांच महीने में तीन गुना मनरेगा मजदूर घट गए हैं। 17 जुलाई से अब तक राजधानी के मनरेगा मजदूरों की 3.31 करोड़ रूपए की मजदूरी बकाया हो चुकी है, लेकिन इन सबके बावजूद न जाने कैसे केंद्र सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने उत्तर प्रदेश को दो नंबरी बना दिया। इससे राज्य सरकार और मुख्यमंत्री गदगद हैं।
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सपा अध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि कामयाबी के ढोल पीटे जा रहे हैं, लेकिन जमीन में निवेश कहां हुआ है? किस बैंक ने कर्ज दिया? इस सबका ब्यौरा नहीं है। एक साल में ही रैंकिंग कैसे बदल गई? प्रदेश में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और अभी आई बाढ़ से भारी तबाही हुई है। हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं। गांवों में आपसी झगड़े बढ़े हैं। रोज-रोज की आर्थिक तंगी से परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। बाजारों में मायूसी छाई हुई है। नौजवानों के पास डिग्रियां हैं पर रोजगार नहीं है। सरकार रोजगार के सृजन में भी विफल रही है। उद्योग धंधों का धंधा फाइलों में ही चल रहा है। प्रशासनतंत्र निष्क्रिय हो गया है।