जानें राज्‍यपाल ने क्‍यों कहा, विधानसभा अध्‍यक्ष की लेखनी से उन्‍हें होती है ईर्ष्‍या

मधु अभिलाषा
पुस्तकों का विमोचन करते राज्यपाल साथ में विधान सभा अध्यक्ष व अन्य‍।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल व अन्य पुस्तकों के बारे में अनेक लोगों ने लिखा है, पर हर लेखक के लिखने के बाद नई-नई बातें समाने आती हैं। उसी प्रकार विधान सभा अध्यक्ष  हृदय नारायण दीक्षित द्वारा रचित पुस्तकों में बड़े सहज व सरल ढ़ग से नई बातें सामने आती हैं, यही उनकी विशेषता है।

ये बातें रविवार को यूपी के राज्‍यपाल राम नाईक ने विश्‍वेश्‍वरैया हाल में आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की पुस्तक ‘मधु अभिलाषा’ और ‘हिंद स्वराज्य का पुनर्पाठ’ का विमोचन करने के दौरान कही। राज्‍यपाल ने आगे कहा कि श्री दीक्षित का लेखन सरल होता है पर विषय गंभीर होते हैं तथा वे संदर्भ भी बड़े प्रमाणिक ढ़ग से प्रस्तुत करते हैं।

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राम नाईक ने कहा कि हृदय नारायण की अब तक 28 पुस्तकें व पांच हजार लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी लेखनी से ईर्ष्‍या होती है, क्योंकि उनकी कलम बड़ी विनम्रता और सहजता से चलती है। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने अब तक केवल अपने संस्मरण पर आधारित पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का संकलन किया है तथा इस बात को भंली-भांति समझते हैं कि पुस्तक प्रकाशित करने में कितनी पीड़ा होती है।

विधानासभा अध्‍यक्ष ने एक समय में अपनी जुड़वां पुस्तकों का प्रकाशन किया है। पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है ऐसे में श्री दीक्षित की पुस्तक के माध्यम से गांधी जी के विचारों को जानने और समझने का अवसर मिलेगा।

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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन, कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं ‘राष्ट्रधर्म’ मासिक के संपादक प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय, विधानसभा प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे, अनामिका प्रकाशन के प्रमुख विनोद कुमार शुक्ल, कार्यक्रम के संचालक और लखनऊ दूरदर्शन के आत्म प्रकाश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में साहित्य से जुड़े लोग  उपस्थित थे।