जनता के पैसों की फिजूलखर्ची में मायावती और अखिलेश में थी कड़ी प्रतिस्पर्धा, योगी ने की सादगी की शुरूआत

फिजूलखर्ची

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। हाल ही में सरकारी खर्चों को काफी हद तक सीमित करने के योगी सरकार के फैसले को भाजपा ने सराहनीय और साहस भरा कदम बताया है। जबकि यूपी की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव में फिजूलखर्ची को लेकर कड़ी प्रतिस्‍पर्धा होने की भी बात कही है।

गुरुवार को भाजपा ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा को मूर्त रूप देता हुआ मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय की तरफ से जारी हुआ आदेश एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत करेगा। इससे न केवल सरकारी कामकाज में सादगी की शुरुआत होगी, बल्कि कई विभागों द्वारा वित्तीय सत्र के अंतिम महीनों में अचानक बड़ी रकम खर्च करने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी।

यह भी पढ़ें- मुगलों व अंग्रेजों के आगे कभी नहीं झुका जाट समाज: योगी

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्‍ता डॉ. चन्‍द्रमोहन ने आज इस बारे में भाजपा मुख्‍यालय में मीडिया से बात करते हुए ‘मार्च लूट’ के नाम से जानी जाने वाली इस प्रवृत्ति पर सीएजी भी समय-समय पर उंगली उठाती रही है। सरकारी खर्चे का दुरूपयोग बंद कर सरकार जनता के धन का जनकल्याण के लिए अधिकाधिक उपयोग करेगी।

वहीं इस दौरान प्रदेश प्रवक्‍ता पिछली सरकारों पर भी निशाना साधने से नहीं चूके। उन्‍होंने कहा कि सपा और बसपा की सरकारों की पंचसितारा संस्कृति ने जनता के धन का उपयोग जनकल्याण के लिए न करके अपने ऐशोआराम के लिए किया था।

यह भी पढ़ें- UP बोर्ड परीक्षा: आधार से परीक्षार्थी का रजिस्‍ट्रेशन तो GPS से लिंक होगा केंद्र, जानें नकलविहीन परीक्षा का पूरा प्‍लॉन

मुख्यमंत्री रहते सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सरकारी खर्च पर करोड़ो रूपये की लग्जरी मर्सिडीज गाड़ी न केवल खुद के लिए खरीदी थी, बल्कि पिता मुलायम सिंह यादव को भी सरकारी खर्च पर करोड़ो रूपये की मर्सिडीज कार खरीद कर दी थी।

बंगले पर फिजूलखर्ची में मायावती और अखिलेश यादव में कड़ी प्रतिस्पर्धा रही है। महंगे इलेक्ट्रानिक स्विच और टोटिंया जनता के पैसों पर खर्च कर लगाई गई थी, और जाते-जाते निकाल भी ली गई थी, जिसे पूरे देश ने देखा है।

यह भी पढ़ें- भाजपा का अखिलेश से बड़ा सवाल, पिता और चाचा से हो गया खतरा तो विपक्षी दलों से कैसे कर पाएंगे गठबंधन

चन्‍द्रमोहन ने आगे कहा कि वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार संभालते ही मितव्ययता और सादगी की कार्यसंस्कृति की शुरुआत की थी। सीएम ने मंत्रियों के बंगलों को संवारने में किसी भी तरह के फिजूलखर्च पर कठोरता से रोक लगाई और स्वयं अपने लिए मंहगी गाड़ी खरीदने से इंकार कर पुरानी गाड़ी से चलना स्वीकार किया।

वहीं दूसरे जिलों की यात्रा पर जाने के दौरान महंगे होटलों में न रुककर मुख्यमंत्री ने सरकारी गेस्ट हाउस में रुकना शुरू किया। समारोहों में महंगे गुलदस्ते भेंट करने की परंपरा को रोका। महंगे निजी सभागारों में सरकारी आयोजनों को प्रतिबंधित किया।

यह भी पढ़ें- बोले केशव मौर्या, कांग्रेस राहुल गांधी को पार्टी अध्‍यक्ष बना सकती है प्रधानमंत्री नहीं