नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्धाटन कर पीएम ने कहा, अपने सीने पर हर मुश्किल को लेते हैं सैनिक

नेशनल वॉर मेमोरियल

आरयू वेब टीम। 

नई दिल्‍ली में इंडिया गेट से कुछ दूर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्धाटन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश की सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। देश पर संकट चाहें दुश्मन के कारण आया हो या प्रकृति के कारण आया हो, हमारे सैनिकों ने सबसे पहले हर मुश्किल को अपने सीने पर लिया है।

पीएम ने आगे कहा कि हमने हमारे पूर्व सैनिकों की कई मांगों और जरूरतों को पूरा किया है और आने वाले समय में और भी मांगों को पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। फैसलों को नामुमकिन समझा जाता था, उन्हें मुमकिन बना रहे हैं।

उन्‍होंने आगे कहा कि हमने रक्षा उत्पादन के पूरे इको सिस्टम में बदलाव की शुरुआत की है। लाइसेंसिंग से निर्यात प्रक्रिया तक, हम पूरे तंत्र में पारदर्शिता ला रहे हैं। मेरा यह स्पष्ट मानना है कि मोदी महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस देश की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास सबसे ऊपर है। मोदी याद रहे न रहे, परंतु इस देश के करोड़ों लोगों के त्याग, तपस्या, समर्पण, वीरता और उनकी शौर्यगाथा अजर-अमर रहनी ही चाहिए। इंडिया फर्स्ट और फैमिली फर्स्ट का जो अंतर है, वही इसका जवाब है। उन्‍होंने कहा कि आज देश को राष्ट्रीय समर स्मारक मिलने जा रहा है, लेकिन राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल की भी तो यही कहानी थी। इस मेमोरियल को बनाने और राष्ट्र को समर्पित करने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला

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मोदी ने आगे कहा कि यह युद्ध स्मारक हमारे बहादुर सैनिकों के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है, आज हम कह सकते हैं कि हमने देश के लिए एक और तीर्थ स्थल का निर्माण किया है और मैं उम्मीद करती हूं कि देश का हर नागरिक यहां जरूर आएगा।

जानें क्‍या है खास

यहां बताते चलें कि इस वॉर मेमोरियल को 25,942 सैनिकों की याद में बनाया गया है। इंडिया गेट के करीब स्थित इस वॉर मेमोरियल पर जिन युद्ध या खास ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं। उसमें 1947-48 में गोआ क्रांति, 1962 में चीन के साथ हुआ युद्ध, 1965 और 1971 में पाकिस्‍तान के साथ हुए युद्ध के अलावा 1987 में सियाचिन पर चले संघर्ष, 1987-1988 में श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पवन और 1999 में कारगिल युद्ध के शहीदों के नाम दर्ज हैं। इसके अलावा कुछ और ऑपरेशन जैसे ऑपरेशन रक्षक के बारे में भी यहां पर जानकारियां और इसमें शहीद हुए सैनिकों के नाम दर्ज हैं।

40 एकड़ में बना है ये मेमोरियल

इस मेमोरियल को तैयार करने में करीब 500 करोड़ रुपए क खर्च आया है। नेशनल वॉर मेमोरियल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावों के दौरान किया गया एक अहम वादा था। यह वॉर मेमोरियल 40 एकड़ में बना है और यहां पर एक वॉर म्‍यूजियम भी है। वॉर मेमोरियल के इसके चारों ओर अमर, वीर, त्‍याग और रक्षा के नाम से सर्किल्‍स बने हुए हैं। यहां पर परमवीर चक्र विजेताओं के बस्‍ट भी लगे हुए हैं।

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