मन की बात के 47वें संस्‍करण में बोले मोदी, केरल के साथ खड़ा है पूरा देश

मन की बात
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक बार फिर देशवासियों से मन की बात की है। अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम 47वें संस्करण में आज प्रधानमंत्री ने ऑल इंडिया रेडियो के माध्‍यम से केरल बाढ़ त्रासदी के साथ ही तीन तलाक और बच्चियों से रेप के मामले में बने कानून समेत अन्‍य मुद्दों पर बात की है। इस दौरान उन्‍होंने जनता को रक्षाबंधन के साथ ही जन्‍माष्‍टमी की भी बधाई दी।

पीएम ने अपने कार्यक्रम में बाढ़ की गंभीर त्रासदी झेल रहे केरल में राहत और बचाव कार्य में अभूतपूर्व योगदान के लिये सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि केरल में चल रहे बचाव कार्य के नायक सशस्त्र बलों के जवान हैं, जिन्होंने बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वायु सेना हो, नौसेना हो, थलसेना हो, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आरएएफ, हर किसी ने राहत और बचाव अभियान में महती भूमिका निभाई है।

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उन्होंने कहा कि केरल में भीषण बाढ़ ने जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। आज इन कठिन परिस्थितियों में पूरा देश केरल के साथ खड़ा है। हमारी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं, जिन्होंने अपनों को गंवाया है। जीवन की जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती, लेकिन मैं शोक-संतप्त परिवारों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि सवा-सौ करोड़ भारतीय दुःख की इस घड़ी में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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इस दौरान उन्‍होंने किसानों का भी जिक्र करते हुए कहा कि कठिन परिश्रम करने वाले किसानों के लिए मानसून नयी उम्मीदें लेकर आता है। भीषण गर्मी से झुलसते पेड़-पौधे, सूखे जलाशयोँ को यह राहत देता है लेकिन कभी-कभी यह अतिवृष्टि और विनाशकारी बाढ़ भी लाता है। प्रकृति की ऐसी स्थिति बनी है कि कुछ जगहों में दूसरी जगहों से अधिक बारिश हुई और इसे हम सब लोगों ने देखा है।

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यहा आपको बताते चलें कि केरल में आई भयंकर बाढ़ के कारण अब तक चार सौ से अधिक लोगों की मौत की खबर है। इसके अलावा चल, अचल संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ है। हजारों की संख्‍या में मवेशियों की भी जानें जा चुकी है।

म‍हिलाओं के मुद्दे पर आज बात करते हुए पीएम ने कहा कि देश की नारी शक्ति के खिलाफ कोई भी सभ्य समाज किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता। बलात्कार के दोषियों को देश सहन करने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक को पास कर कठोरतम सजा का प्रावधान किया गया है।

पीएम ने कहा कि दुष्कर्म के दोषियों को कम-से-कम 10 वर्ष की सजा होगी, वहीँ 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने पर फांसी की सजा होगी। कुछ दिन पहले आपने जाना होगा कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक अदालत ने सिर्फ दो महीने की सुनवाई के बाद नाबालिग से रेप के दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।

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इसके पहले मध्य प्रदेश के कटनी में एक अदालत ने सिर्फ पांच दिन की सुनवाई के बाद दोषियों को फांसी की सजा दी। राजस्थान की भी अदालतों ने ऐसे ही त्वरित निर्णय किए हैं। यह कानून महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ अपराध के मामलों को रोकने में प्रभावी भूमिका निभायेगा। सामाजिक बदलाव के बिना आर्थिक प्रगति अधूरी है।

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वहीं तीन तलाक पर एक बार फिर बात करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकसभा में तीन तलाक बिल को पारित कर दिया गया। हालांकि राज्यसभा के इस सत्र में संभव नहीं हो पाया है। मैं मुस्लिम महिलाओं को विश्‍वास दिलाता हूं कि पूरा देश उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरी ताकत से साथ खड़ा है।

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जब हम देशहित में आगे बढ़ते हैं तो गरीबों, पिछड़ों, शोषितों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। मानसून सत्र में इस बार सबने मिलकर एक आदर्श प्रस्तुत कर दिखाया है।